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मइसारो तम्मंती निचलोरुगुणपती। तस्स य सुओ सुबुद्धी सुबुद्धिनामो गुणभिरामो ।।२।। तेणाहोया सयला कला कलायरियपायसेवाए । गुरुसेवाय (एँ) सुबुद्धी लहु बोहं जणइ जेणेह ॥३॥ उप्पत्तिय बेणइया कम्म परिणामिया य बुद्धीओ। चउरोवि तस्स हियए वसिया जह सरसि हंसीओ ॥४॥ अन्नोवि अकयपुन्नो तणुज्झत्री अत्थि मंतिणो तस्स । दुब्बुद्धित्ति पसिद्धी संजाया पुवपाववसा ।।५।। सो पाढिओऽवि पिउणा गुरुणो पासे सहत्तदोसेण । चहिपि हु। मासेहि न ह मायरमवि य अपढिंस ।।६।। इत्तो तम्मेव पुरे धणाभिहाणेण सेछिओ आसी। तस्स य तणु या चउरो चउरोचियसंचियकलोह ।।।। लाहड १ बाहड २ भावड ३ जावड ४ नामा सरूवजियकामा । तारुण्णगुणुद्दामा ते जाया विप्फुरत्थामा ॥८॥ अह अन्नया धमक्खो अतो आमएहि बहुपहि । वागरइ निययतणुए पणए पयकमल जुयलम्मि ॥९॥ किंचिवि भणेमि अयं तुज्झाणं हियपयं जया कुणह । ते उल्लवंति ताया जं कहसि तयं वयं कुणिमो ।।१०। अह आइसइ स ताणं तणुयाणं सविणयाण निययाणं । तुम्हेहि मज्झ मरणे सजाए दिव्वजोएण ॥१शा निश्चलपिम्मपरेहि ठायब्वमहो मिहो सगेहम्मि । भजाण दुज्जणाण व न हु कज्ज वयणमिह सवणं ।।१२।। जइ कहवि भिन्नभावो R हविज्ज तुम्हाण नेविगमेण । न हु तहवि हासजणओ कायब्वो नणु मिही कलहो ॥१३॥ चउमुवि कोणेसु मए एयस्स
गिहस्स गणनिहिनिहीओ । बटुंति य निहियाओ पिहियाओ पवरकलसेहिं ।।१४।। पुचाइकमेणेए गहियन्वा अभणिरेहि किमवि मुहे । लंधेयव्वा एसा न हु मजाया मए विहिया ।।१५।। भणियं तहत्ति तेहि धणो य निहणं तओ गओ सिट्ठी। मयकिरियमिमस्सेए काउं सुचिरं ठिया सुहिया ।।१६।। पुत्ताइसंत ईए बडविडविसमा विवाट्टि लग्गा । नियनिय
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