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________________ हो नबी इमां पंचर यमबाई । मन्ध मदिर पनी महावी अनारे १८ नियकम्मरष्टि नी कमाई नर्मक मो उम्मी। टायसवय नाव यति बिदा १८311 मिन म्मि अच्छन्ति व विश्विनवेवमा चिय। नायगादी नो नन्दनि दिया रिट्र अग्ला उन्ध निन्त्रमात्र भनित्री होमो । नहरेंहि विद्यारिला निगाव अम्बनिक ! विभिषन मरिडं वनी पमिदिवाइस बाई रिकालमवं। अनी भी दुवैदि भिवमम्मनबाद 1180, कवि गदहवां यदि बोनबा. २१८॥ लोनी : सात सय वर्ष भयकालाइ हाहमित्रो । । यदि म प ध नित्रमाबाड काय | क्याए । कवि मंडल प्रजण निवडक नदिया शं .... बनदि बहन नवम् नेक नववि सहिद मम्मनं । गेग्यंत्र कमी ग्रहावं बट्टामायत्रमा १९.: ऋत्य मोरया कववि टोमवश्वHश्वाहि । पिब्रिामविदांत्र यदि गममांटि ११८. मति नाममग ऋयदि इत्याय कवि रतं । बादशम् एवंस्टाकावंतत्रागा ।।१५। रित्रिय लद्ध मंगोट्टिारमन्नं । बम्विं कमिय मानदमनाचारमनिय ।।१०६॥ नी माहवले मानव अंचे मनामना। कम्पपरिणामवमा बनिनामा मोबदशकदो ॥१९॥ वह अपनी मां विनामनयर्गम अमहिय । मुदग्नाम गुन्हा दृश-वि या मदग्न (म)कयां ॥an वासराई मिमुबह पृषड रह मृगायनवाए । मम्ममहलमा मना पुरा ॥१॥ सङ्गमावबम्ब
SR No.090524
Book TitleUpdeshsapttika Navya
Original Sutra AuthorKshemrajmuni
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages486
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size12 MB
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