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________________ सतिका उपदेश-२ माटीकते। अत्रार्थे चिलातीमुतोदाहृतिरुदाहियते ॥ चिलातीपुत्रकथा ।। नवरम्मि खिइपइट्रियनामे फलदलमणोहरारामे । पंडिविहियदप्पो विपोन्थिहजन्नदेवृत्ति ॥१॥ सासण अवनवाई २०६॥ माईवाईण पढमरेहिन्यो । सो खुइएण गरुणा निवारिएणादि वायम्मि ॥२॥ विजिओ विहियपइन्नो गलियमओ दिक्खिओ गुरुहिं इमा। साहूवरि रोसिद्धो मुचोइओ मासणसुरीए ॥३॥ ततो तत्तोवगओ निम्मायत्तेण कुणइ सो धम्मं । घिजाइमाइजाणं परं मणाओ न मिल्हेइ । ४॥ तन्नाई उवसंता तभा तम्मि नेहला बाद । पग्विायगोव एसा पारणए कम्मणं देइ ।।५।। नियचित्तविवजासं मुणी मुणित्ता चनु भत्ताई। संपत्तो मुरलायं सायं सा PM काउमाढता ।।६11 पन्वइय साहुणीणं पासे आसेविऊण मुणिधम्म । पच्छिनमणालोइय तं पच्छन्न गहन्न ।। ७॥ काल काऊण मया अमयासिट्ठाणमुखमणुपत्ता । अह जनदेवदेवो चुओ नओ मुखमणहदिउं 1८10 अइ उअलरायगिहे रायगिहे नामम्मि वरनयरे । पचसत्यवाहदासी चिलाइया तस्सुओ जाओ । ५॥ नाम चिलाइपत्तोत्ति निम्मियं सिट्टिणा पहि₹ण । पुवकयमुणिदुर्गच्छा कयावि किं निष्फला होई ॥१०॥ नजायाए जीये। घणमिटिप्पणइणीई भद्दाए। पंचन्ह । सुयाणुवरि संपन्ना संसुमा घूया ||११|| तीए स बालगाहिनणम्मि ठविओ धणेण गिबद्दणा। पायं घणवताणं | सिणि पालंति कम्मकरा ||१२॥ पुरलो उब्वेयकरो मुहरो कलिकलहकारगनाए । निद्धाडिओ गिहाओ धणेण नणु भग्गमितेण ॥१३॥ अइपद्रविनवनिप्पणसंमोहणिग्जतर्मान्न । सो सीहगहं पल्लिं गओ गउब्वेस संफुद्धिं ॥१४॥ पढ २०६॥
SR No.090524
Book TitleUpdeshsapttika Navya
Original Sutra AuthorKshemrajmuni
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages486
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size12 MB
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