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११२९॥
तत्थन्नया कयाऽवि हु संपत्ता सोलचंदसूरिंदा । भुवणम्मि नणु दिणिंदा इव जे भवंबुरुहबोहे ।।६।। पडिवन्नो तप्पासे पासे मोहस्स छिदिऊण लहुं । सेणो सुणित्तु धम्म दिक्खं कम्मारिपडिवक्खं ।।७।। वववजणयजगणोपालणपणो गिहाम्म निबसेइ । सिद्धो सुविसुद्धमई अईव इय चितिउं लग्गो ॥८॥ कइया उज्झियगिहवासपासमुम्मलिऊण विसयाणं । मिहिस्समहं संजममसंजमं दूरमुज्झंतो ।।९।। परिचत्तमित्तसंगो अंगोवंगाई गोविऊण दढं | कुम्मुव्व सुहज्झणुञ्जलजलमज्झम्मि चिहिस्सं ॥१०॥ कइयाऽहं सुगुरूणं नूर्ण विणयं समाइरिस्सामि । पयपंकयभमरतुलं सेवारसिओ धरंतो य ॥११॥ कइया सुगुरूहिँ समं रमंतओ संजमम्मि आरामे । नाणाविहदेसेसुं अप्पडिबद्धो चरिस्सामि ? ॥१२॥ कइया घरवावार दुव्वारं वारिऊण नीसेसं । निस्सेयसपुरमग्गं पडिबजिस्लामि निरवलं ॥१३॥ होही दीहो सो कोऽवि कोविओ दुजणेहिं दुगिरा । उवसमरसनिम्मग्गो रोसकसायं चइस्सामि ॥१४॥ काऊणुबहाणाई महानिहाणाई पुनरयणाणं । कइया अंगोवंगाइसुत्तमहयं पढिस्सामि ॥१५॥ कइयाहमप्पदेहे निरीहभावं धरित्तु धीरमणो। उवसग्गवग्गमसहं सहिस्समुच्छाहमावन्नो ।।१६।। समिईउ पंच तहा गुत्तीउ तिन्नि महम्बए पंच | सोलंगाणटारससहसाइँ कया वहिस्सामि ।।१७।। . कइया गहित्तु चरणं चरणं सुगुरूण सेवमाणोऽहं । गामागरनगरेसुं अप्पडिबद्धो चरिस्सामि ? ॥१८॥ कइया गयावराहो नाही होऊण सव्वसत्ताणं । पत्ताण पत्तरेहो देहोवगरणसुनिम्मुच्छो ॥१९॥
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