SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1120 ---- श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला - प्रन्थाङ्कः २३४ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः श्री मणिबुद्ध्याणंद - हर्षकर्पूरामृलसूरिभ्यो नमः । श्रीमत्क्षेमराजमुनि विरचिता स्वोपज्ञटीका सहिता 5 उपदेशसप्ततिका ( नव्या ) 5 : संपादक: संशोधकव तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेव श्री विजयकर्पूरसूरीश्वर पट्टधर - हालारदेशोद्धारक पूज्याचार्यदेव श्रीविजयामृत्सूरीश्वर - पट्टधरः पूज्याचार्यदेव श्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरः सहायक परम पूज्याचार्यदेव श्री विजय शांतिचन्द्रसूरीश्वर कृपया पू. मुनिराज श्री देवचंद्र विजय सदुपदेशेन साचोर ( राजस्थान ) श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघः परमपूज्य परमशासन प्रभावकाचार्यदेवेश श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वर कृपया तेषां मन्तेवासि तपस्वी पंन्यासप्रवर श्री भद्रशीलविजयगणिवर- सदुपदेशेन मुंबई - घाटकोपर नवरोजलेनस्थ : श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ प्रकाशिका :- श्री हर्णपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला, लाखाबावल - शांतिपुरी (सौराष्ट्र ) 茶藝文沙茶茶文件弟媒 ।। १ ।।
SR No.090524
Book TitleUpdeshsapttika Navya
Original Sutra AuthorKshemrajmuni
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages486
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy