SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥२३॥ 20006600000ree और मनजीजाइनां स्वर्गवास। डिनीय पत्नी रतनवाइर्थी चयन “मेघजी अने बदमी" नामे जाननी एक जमी शेवना सुखी कुटंबमा विद्यमान छे. संवत् १६५? ना लाद्रपद मासनी कृष्ण द्वादशीए मेघजीजाना जन्म | थल जे. संवा १४५३ ना आश्विन मासमा दीपोत्सवीन दिवस म्हेन लक्ष्मीनो जन्म थया छ. मेवजीजाइ तथा लक्ष्मी ब्रेन वायवय उतां स्वजावे मुशील अने नम्र छे, तेमने सदगुणी बनावबाने तमना प्रेमी पिताए उत्तम प्रकारनी केळवणी आपवानी मारी योजना करेबीछे. ते बन्ने बाळक पाताना मायालु मातापितानी भीमळ छाया नीचे केळवणीरुप कम्पन्नतानु सेवन करे छे. शेठ वसनजीनाश्ना तृतीय पत्नी वासबाट अन्यारे गृहिणीपद पर विद्यमान उ. तेमणे पानाना मुशील बन भात वजावधी शेवना कुटुंबने मुशोचित बनावश्यं. केळवाणी पर अतिशय व्हाल धवनारा वामगइ धार्मिक पन सांसारिक केळवणी पाम्या , तापि नमो शान वागे करवाने मदा उन्मुक छ. विख्यात पंमित "याझन" ना विशाळ हृदयन शिकाण शेषना मुम्बी कुद्वमा चाबु रहे है. अन नेयी नेमना दरेक कुटुंबांना हृदयमा सदगुणो नी सुवास मसरी रही छ. संवत् १९६० ना मायशिर मासनी कृष्ण प्रतिपदाने दिवसे विद्यार्वता वाइवाइप" वकिमचंद्र" नामना पुत्रने प्या छ. ने वाळक हज मानाना उत्संगमां क्रीमा करे छे, नथापि तेनामां चंचलना अने नम्रना वगरे केटलाएक नुत्तम गुणोतुं स्वजाविक रीते अत्यारथीन दर्शन धाय छ. माटे जरिष्यमां सारी आशा बांधवामां आवे छे. प्रा प्र-18 मा विद्यमान परिवारधी पस्थित थयेला शेठ वमनजीना ते मंसारमा मनोप मानी द्या . संसारमा रहा उता एमने लक्ष्य विधानोना समागम धारा झानक्लिासमाज बद्ध के. ते साये नेओ धार्मिक अने सांसारिक केळवाणीना हिमायती अनेते डाग पोतानी कोयना उदयनी सतन अनिझापा गखे अने तेवा कार्यने माटे लक्ष्मीनो व्यय करवामी नेत्रो सदा बसपरिकर रहे . श्री उपदशरत्नाकर. N ०६०००००००००००
SR No.090523
Book TitleUpdeshratnakar
Original Sutra AuthorMunisundarsuri
AuthorMunisundarsuri
PublisherJain Dharm Vidya Prasarak Varg
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy