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एकादशस्तरंगः
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पुनरस्येवार्थस्य दृढीकरणायाह-मूत्रम्-कावि मेहबुट्टी । मणिमुत्ताविविधनफब्रद्देन । रयणागराश्सु जहा । सुदगुरुवयणं तद जीएसु ॥ १ ॥
वळी तेन अर्थने दृढ़ करवा माट कहे .-मूना अर्थ:-जेम एकज एवी मेघनी रत्नाकर आदिकाने का विष, मणि, मोनी, विविध प्रकाग्नां धान्य नया फलोना हेतृम्प थाय ने, नेम जीवो प्रत्ये शुज गुमर्नु वचन का माग ॥ १॥
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