________________
संपादक
अशुद्ध लाग्या नेमज हस्तलिखित प्रनिओना पण जे पाठो व्याकरण आदिनी दृष्टिए अशुद्ध लाग्या ने ते पाठोनी पाठभेदोमा अमे नोंघ लीधी नथी, कटलाक पराठा अशुद्ध बा लागवा उनाय विचारणीय हुना ते ते पाठभदोमां संगृहीत कर्या के. पाठभेदो माटे की कयी प्रतिओनो उपयोग करायो नो नामोल्लेख तथा परिचय अन्यन्न आपल के तेथी ने एनति की आ जादी. ____ आ रीत पाठभेदो संगृहीत कर्या पढ़ी ज्या ज्यां कठिनतम शब्दो हता तेनाज अर्थ टक्या छ परन्नु सर्व शब्दोना अर्थो लखवान अमे उचित मान्य नथी.
आ अन्थराज सर्वांगशुद्ध उपाय ते माद में माराथी बनती पूरी चीवट राखी के अने ने माटे मुद्रणालयना व्यवस्थापकोने पण सूचनाओ आपी छ. गुफो वारंवार तपासीने सुधारी आप्या छे, छतांय शुद्धिपत्रक मूकबुंज पडयु ए मारी पोतानी क्षति नमसी पाठको मने श्रमा करशे एबी आश राखु छ.
प्रस्तुत अन्धराजमा आचार्यभगवंत श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजीप पौने पोता तरफथी जे सुभाषितो टाक्यां छे तन अलग बताबवा माटे ते ते मुभापिनो नीचे पाती लौंटी मूकी जदा तारखवानी अमे प्रयास कयों छे. परन्तु कथामां आवतां पात्रो द्वारा प्रसंगे प्रसंगे उच्चारायला सुभापितो मांट नेम करायु नथी ते खास ध्यानमा राबवा योग्य छ,
व्यवस्थित संपादनना अभावे या हत्तप्रतोनी प्राप्तिना अभावे अत्यार पूर्व मुद्रित थ्येला प्रस्तुत चरित्रमा केवी निओ थई छे तनुं मात्र एकज द्रष्टान्त अही रजू करवं पर्याप्त थशे. प्रस्तुत प्रन्थराजना
.