SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [77 उपस्थित होता है उसी भांति क्रोध में दुर्द्धर हनुमान वरुण पुत्रों के सम्मुखीन हुए । हनुमान ने विद्या बल से उन्हें स्तब्ध कर पशुओं की तरह बांध डाला। उन्हें बँधे हुए देखकर वायु जिस प्रकार पथ के वृक्षों को कम्पित कर देती है उसी प्रकार वरुण सुग्रीवादि योद्धाओं को कम्पित करता हआ हनुमान की ओर दौड़ा। वरुण को हनुमान की ओर जाते देखकर रावण ने बाण-वर्षा कर पर्वत जैसे नदी के वेग को रोक लेता है उसी प्रकार वरुण को बीच राह में ही रोक दिया। तब क्रोध से वरुण ने हस्ती के साथ हस्ती,वष के साथ वष जिस प्रकार युद्ध करते हैं उसी प्रकार रावण के साथ बहुत देर तक युद्ध किया । अन्त में छल जानने वाले रावण ने अपनी छलना से वरुण को व्याकुल कर उछल कर जैसे इन्द्र को पकड़ा था उसी प्रकार वरुण को पकड़ लिया। छलना भी बल की तरह बलवान् होती है। तदुपरान्त जयनाद से आकाश को गुञ्जायमान करता विशालस्कन्ध रावण अपने स्कन्धावार को लौट गया। पूत्रों सहित वरुण ने रावण की अधीनता स्वीकार कर ली। तब रावण ने उसे मुक्त कर दिया । महान् आत्माओं का क्रोध प्रणिपात तक ही रहता है। (श्लोक २९२-२९९) अपने नेत्रों से जिसके पराक्रम को देखा था ऐसे जवाई का मिलना दुष्कर समझकर वरुण ने अपनी कन्या सत्यवती का विवाह हनुमान के साथ कर दिया। रावण ने भी लङ्का लौटकर चन्द्रनखा (सूर्पणखा) की कन्या अनंग कुसुमा हनुमान को प्रदान की । सुग्रीव ने स्व-कन्या पद्मरागा को, नल ने हरिमालिनी एवं इसी प्रकार सबों ने मिलकर एक हजार कन्याएँ हनुमान को दी। रावण ने हनुमान को अपने दृढ़ आलिंगन में लेकर उन्हें विदा दी । पराक्रमी हनुमान हनुपुर को लौट आए। अन्य विद्याधरगण व वानरपति सुग्रीवादि सानन्द अपने-अपने नगर को लौट गए। (श्लोक ३००-३०३) तृतीय सर्ग समाप्त चतुर्थ सर्ग मिथिला नगरी में हरिवंशीय वासवकेतु नामक राजा थे। उनकी रानी का नाम विपुला था। उनके पूर्ण यशस्वी और प्रजा के
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy