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________________ 76 सहित हनुपुर रह गए। (श्लोक २७३-२७८) कुमार हनुमान पिता की इच्छानुसार पालित-पोषित होकर समस्त कलाओं व विद्याओं के अधिकारी हो गए। शेषनाग की तरह दीर्घ बाहयुक्त, शस्त्रों के परिज्ञाता और सूर्य के समान तेजस्वी हनुमान क्रमशः यौवन को प्राप्त हुए। (श्लोक २७९-२८०) उसी समय क्रोधितों में श्रेष्ठ पर्वत के समान रावण ने सन्धि में कुछ दोष निकालकर वरुण को पराजित करना चाहा । विद्याधर राजा आमन्त्रित होकर वैताढय गिरि-सी सेना लेकर उसकी सहायता के लिए प्रस्तुत होने लगे। पवनञ्जय और प्रतिसूर्य भी वहां जाने के लिए तैयार होने लगे। तब पर्वत तल्य स्वाभिमानी हनुमान उनके निकट जाकर बोला-'हे पितृश्रेष्ठ ! आप लोग यहीं रहें। मैं अकेला ही समस्त शत्रुओं को जीत लूगा । तीक्ष्णास्त्र पास रहते हुए कौन बाहुओं द्वारा युद्ध करता है ? बालक समझकर मेरे प्रति अनुकम्पा न दिखाएँ । कारण, हमारे कुल में उत्पन्न मनुष्यों का जब शौर्य दिखाने का समय आता है तब उन्हें आयु प्रमाण से नहीं देखा जाता।' (श्लोक २८१-२८५) इस भांति बार-बार आग्रह करने पर उन्होने हनुमान को युद्ध में जाने की अनुमति दे दी। हनुमान का मस्तक चूमकर उन लोगों ने उसके जाने के मांगलिक कार्यों को सम्पन्न किया । दुर्जय पराक्रमी हनुमान बड़े-बड़े सामन्त, सेनापति और सैनिक सहित रावण के स्कन्धावार में उपस्थित हुए। हनुमान का आना रावण को ऐसा लगा मानो साक्षात् विजय ही वहां आकर उपस्थित हो गई। हनुमान ने रावण को प्रणाम किया। उसने स्नेहवश हनुमान को अपनी गोद में बैठा लिया। (श्लोक २८६-२८८) ___रावण युद्ध के लिए वरुण की नगरी के बाहर उपस्थित हुआ। वरुण भी अपने सौ पुत्रों के साथ युद्ध करने के लिए नगर से बाहर आ गया। (श्लोक २८९) युद्ध प्रारम्भ हुआ। वरुण के पुत्र रावण से युद्ध करने लगे और वरुण सुग्रीव आदि वीरों के साथ युद्ध करने लगा। महापराक्रमी रक्त चक्षु वरुण के पुत्रों ने जातिवान श्वान जैसे सूअर को घेर लेते हैं उसी प्रकार रावण को घेर लिया। (श्लोक २९०-२९१) यह देखकर हस्तीयूथ के सम्मुख जिस प्रकार सिंह शावक
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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