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________________ 60] गया। खूब धूमधाम हुआ। यह विवाहोत्सव दोनों ओर के मातापिता के लिए कमल के लिए चन्द्र की भांति आह्लादकारी हुआ। महेन्द्र द्वारा पूजित प्रह्लाद स्वजनों सहित वर-वधू को लेकर सानन्द स्वनगरी को लौट गया। वहां उसने अंजना सुन्दरी के लिए सात मंजिलों वाला एक प्रासाद दिया। देखकर लगा कि मानो स्वर्ग का विमान ही पृथ्वी पर अवतरित हआ है; किन्तु पवनञ्जय ने अंजना सुन्दरी की ओर देखा तक नहीं, न ही उसने बात की। कारण, मानी पुरुष अपना अपमान ऐसे ही नहीं भूल जाता । चन्द्रहीन रात्रि की भांति पवनञ्जयहीन अंजना अश्रुजल में डूबकर अस्वस्थ-सी दिन व्यतीत करने लगी। पर्यंक पर सोयी अंजना को बार-बार पाव बदलते हुए एक रात्रि एक वर्ष-सी प्रतीत होने लगी। अनन्यहृदया वह कमलमुखी अपने स्वामी का चित्र हृदय में धारण कर किसी प्रकार दिन व्यतीत करने लगी। उसकी सखियों के बार-बार मीठी बातें बोलने पर भी हेमन्त ऋतु में जिस प्रकार कोयल नहीं बोलती उसी प्रकार वह अपना मौन भंग नहीं करती। (श्लोक ४३-५०) ___ इस प्रकार अनेक दिन व्यतीत होने पर एक दिन रावण का दूत आकर प्रह्लाद से बोला-'दुर्मति वरुण राक्षसपति रावण के प्रति वैर रखता है और उनका आधिपत्य स्वीकार नहीं करता। उसे माधिपत्य स्वीकार करने को कहने पर अपने भुजदण्ड दिखाकर कहता है-'कौन है यह रावण ? वह मेरा क्या कर सकता है ? मैं इन्द्र या वैश्रवण नहीं हूं, न ही नलकवर, सहस्रांशु. मरुत्, यम या कैलासगिरि । मैं वरुण हं। देवाधिष्ठित चक्ररत्न पर यदि वह गवित है तो यहां आकर अपनी शक्ति प्रदर्शित करे। उसके चिरकाल संचित गर्व को मैं क्षण भर में नष्ट कर दूंगा।' (श्लोक ५१-५६) 'यह सुनकर कुपित रावण ने युद्ध छेड़ दिया और समुद्र जिस प्रकार तट पर स्थित पर्वत को घेर लेता है उस प्रकार उसके नगर को घेर लिया है। इस पर वरुण भी क्रुद्ध होकर राजीव और पुण्डरीक नामक पुत्रों सहित नगर से बाहर निकला और युद्ध करने लगा। वरुण के वीर पुत्र महायुद्ध कर खर और दूषण को बांधकर अपने नगर में ले गए। इससे राक्षस सेना छत्र भंग हो गई। इस जय से कृतार्थ होकर वरुण भी अपने नगर को लौट गया है।
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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