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________________ [51 सहित प्रविष्ट हुआ। नलकूवर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर युद्ध करने आया। विभीषण ने उसे उसी प्रकार पकड़ लिया जिस प्रकार हाथी चमड़े की थैली को पकड लेता है। सुर और असुर के लिए अजेय इन्द्र सम्पकित दुर्द्धर वह सुदर्शन चक्र भी रावण को प्राप्त हुआ। तब नलकूवर ने रावण की वश्यता स्वीकार कर ली और रावण ने भी उसका राज्य लौटा दिया। कारण पराक्रमी पुरुष विजय की जैसी इच्छा रखते हैं वैसी ऐश्वर्य की नहीं। तब रावण उपरम्भा से बोला, 'हे भद्रे, मुझसे विनयपूर्वक व्यवहार करने वाली आप अपने कुल के योग्य स्वपति को ही स्वीकार करें। कारण आपने मुझे विद्या दी है, अतः आप मेरी गुरु तुल्या हैं। फिर मैं पर-स्त्री को अपनी माँ और बहन की तरह देखता हूं। आप कामध्वज और सुन्दरी की कन्या हैं। इसलिए आपको ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो उनके दोनों कुलों को कलङ्कित करे। ऐसा कहकर रावण ने उसे नलकूवर को सौंप दिया। क्रुद्ध होकर पितृगृह आई कन्या की भाँति निर्दोष उपरम्भा पुनः पतिगृह लौट गई। (श्लोक ५६८-५७७) नलकूवर द्वारा सम्मानित रावण सैन्य सहित रथनुपुर जाकर उपस्थित हुआ। रावण आया है सुनकर बुद्धिमान सहस्रार पुत्र-स्नेहवश स्नेह सिक्त कण्ठ से अपने पुत्र इन्द्र को बोला __'हे वत्स, तुम्हारे जैसे पराक्रमी पुत्र के जन्म लेने से हमारे कुल ने उन्नति के उच्चतम शिखर पर आरोहण किया है और अन्य कुल की उन्नति का ह्रास किया है । यह तुमने अपने पराक्रम से ही सम्भव किया है; किन्तु अब नीति को मानना भी उचित है। कभी-कभी केवल पराक्रम ध्वंस का कारण भी बनता है। शरभादि एकान्त पराक्रम के कारण नष्ट होते हैं। इस पृथ्वी पर एक से बढ़कर एक पराक्रमी हैं। इसलिए यह गर्व करना उचित नहीं है कि मुझसे बढ़कर पराक्रमी कोई नहीं है। इस समय सभी के प्रताप को अपहरण करने वाले सूर्य-से प्रतापी एक पराक्रमी ने जन्म लिया है जिसने सहस्रांशु जैसे योद्धाओं को भी अपने वशीभूत कर लिया है, जिसने खेल ही खेल में अष्टापद उठा लिया, जिसने मरुत् राजा का यज्ञ भङ्ग किया, जिसके मन को जम्बूद्वीप के अधिपति यक्ष भी क्षुब्ध नहीं कर सके। अपनी भुजा की वीणा पर अर्हत्
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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