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________________ [39 में निपुण होकर घर लौट आया। (श्लोक ४०५-४०६) _ 'राजाओं में चन्द्रतुल्य अभिचन्द्र ने भी दीक्षा ग्रहण कर ली। वैभव में वासुदेव तुल्य वसू सिंहासन पर बैठा। उसने पृथ्वी पर सत्यवक्ता के रूप में ख्याति प्राप्त की और इस ख्याति को अक्षुण्ण रखने के लिए वह सदैव सच बोलता था। (श्लोक ४०७-४०८) ‘एक बार विन्ध्य गिरि की स्थली पर एक शिकारी शिकार करने गया। दूर से हिरण देखकर उसे मारने के लिए उसने तीर निक्षेप किया; किन्तु वह तीर मृग को स्पर्श कर गिर पड़ा। उसका तीर क्यों गिर गया यह जानने के लिए वह उस स्थान पर गया। देखा वहाँ कोई मृग नहीं था। हस्त-स्पर्श से समझा वहाँ आकाश सी निर्मल एक स्फटिक शिला है। तब वह सोचने लगा पृथ्वी की छाया जिस प्रकार चाँद पर पड़ती है उसी प्रकार अन्यत्र चल रहे मृग की छाया उस स्फटिक शिला पर पड़ रही थी और उसे देखकर ही उसने तीर छोड़ा था। इस शिला को बिना छए इसका अस्तित्व समझा ही नहीं जा सकता । ऐसी अदभुत शिला तो वस राजा के ही योग्य है। (श्लोक ४०९-४१२) __उस शिकारी ने सारी बात राजा वसु को एकान्त में जाकर कही । वसु राजा ने प्रसन्न होकर उसे खूब धन दिया और वह शिला रख ली। तदुपरान्त गुप्त रूप से उसी शिला द्वारा उन्होंने एक वेदी बनवाई । यह बात गुप्त ही रहे इसलिए उस वेदी निर्माता की हत्या करवा दी क्योंकि राजा किसी का अपना नहीं होता । बाद में उसी वेदी पर अपना सिंहासन स्थापित करवाया। वेदी किसी को दिखाई नहीं पड़ती थी अतः सभी समझते सत्यवक्ता होने के कारण राजा का सिंहासन शून्य में रहता है। और सत्य बोलने के कारण ही देव तृप्त होकर उनके निकट रहते हैं और उसकी सेवा करते हैं । इस प्रकार चारों ओर उसकी प्रशसा होने लगी। इसी प्रशंसा से भयभीत बने कई राजा उसके वशीभूत हो गए क्योंकि सत्य हो या झूठ प्रसिद्धि ही मनुष्य को जययुक्त करती है। (श्लोक ४१३-४१७) एक बार घूमता हुआ मैं उसी नगरी में गया। वहां मैंने पर्वत को बुद्धिमन्त शिष्यों को ऋग्वेद पढ़ाते देखा । उस समय 'अजैर्यष्टव्यं' यह पाठ पढ़ाया जा रहा था । उसका अर्थ उसने बताया 'बकरे द्वारा यज्ञ करो' यह सुनकर मैं उससे बोला-'भाई, तुम प्रमादवश ऐसा
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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