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________________ 131 वैताढ्य पर्वत के ज्योतिषपुर नामक नगर में ज्वलनशिख नामक एक विद्याधर राजा राज्य करते थे। उनके रूप सम्पत्ति में लक्ष्मी तुल्य श्रीमती नामक रानी थी। उसके गर्भ से विशाल लोचना तारा नामक एक कन्या हुई। चक्रांक नामक एक विद्याधर राजा के पुत्र साहसगति ने एक बार तारा को देखा तो काम के वशीभूत हो गया। उसने तारा के पाणिग्रहण के लिए ज्वलनशिख के पास दूत भेजा। उधर किष्किन्ध्या के राजा सुग्रीव ने भी तारा की प्रार्थना कर ज्वलनशिख को दूत भेजा। कारण, रत्न प्राप्त करने की इच्छा सभी करते हैं। साहसगति और सुग्रीव दोनों ही उच्च कूल जात के थे, रूपवान और पराक्रमी भी थे । अतः किसे कन्या दूं स्थिर न कर सकने के कारण ज्वलनशिख ने एक नैमित्तिक से पूछा। उसने कहा, 'साहसगति स्वल्पायु है और सुग्रीव दीर्घायु है।' ज्वलनशिख ने सुग्रीव के साथ तारा का विवाह कर दिया। साहसगति तारा को भूल न सकने के कारण अग्नि की भांति विरह ज्वाला में दग्ध रहने लगा। (श्लोक २८०-२८६) तारा के साथ सुख भोगते हुए सुग्रीव के अंगद और जयानन्द नामक दिग्गज से दो पराक्रमी पुत्र हुए। उधर तारा का अनुरागी मन्मथ-पीड़ित साहसगति सोचने लगा मैं कब इस मृगनयनी सुन्दरी के पके हुए बिम्बफल से अधरों को चूमूगा? कब मैं उसके स्तनकुम्भ का अपने हाथों से स्पर्श करूंगा? कब मैं उसे आलिंगन में लेकर उन स्तनों का मर्दन करूंगा? छल से या बल से जैसे भी हो मैं उसका हरण करूंगा। ऐसा सोचकर शेमुषी नामक रूप परिवर्तन की विद्या अजित करने के लिए चक्रांकपुन साहसगति हिमवत् पर्वत पर गया और एक गुहा में विद्या साधना में प्रवृत्त हो गया। (श्लोक २८७-२९२) उधर पूर्व दिशा से जैसे सूर्य निकलता है उसी प्रकार लङ्का से दिग्विजय के लिए रावण निकला। अन्यान्य द्वीपवासी विद्याधर और राजाओं को वश में कर रावण पाताल लङ्का में गया। वहाँ चन्द्रनखा के पति खर ने विनीत और मधुर वाक्य से उपहार द्वारा सेवक की भाँति रावण की विशेष पूजा की। (श्लोक २९३-२९५) वहाँ से रावण विद्याधर इन्द्र को जीतने चला। खर ने भी अपनी चौदह हजार सेना को लिए उसका अनुसरण किया। सुग्रीव
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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