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________________ 20] उसी स्थिति में मुक्ति के लिए प्रयास करे तब वह यथार्थ स्थान पर पहुंच सकता है। अल्प परित्याग कर विशेष इच्छा करने वाला कभी लज्जास्पद नहीं होता । मैं अब वही करू । अनेक अनर्थों का मूल इस राज्य की अब मुझे कोई आवश्यकता नहीं है । मैं मोक्षमन्दिर के द्वार-सी दीक्षा ग्रहण करूंगा । यहाँ तक कि विभीषण और कुम्भकर्ण जिन्होंने मुझे नष्ट करने की चेष्टा की वे भी मेरे उपकारी हैं क्योंकि उनके कारण ही मुझे इस सन्मार्ग का बोध हुआ है। (मामा के पुत्र होने के कारण) रात्रण मेरा बान्धव ही तो था। अब अपने कार्य द्वारा भी वह मेरा बान्धव हुआ है । वह यदि युद्ध करने यहाँ नहीं आता तो ऐसी श्रेष्ठ बुद्धि तो मुझे मिलती ही नहीं। (श्लोक ११४-१२४) ऐसा सोचकर शस्त्र फेंककर वैश्रवण ने स्वयं ही दीक्षा ग्रहण कर ली और तत्त्वविचार में निमग्न हो गया। यह देखकर रावण ने उन्हें वन्दना की और करबद्ध होकर बोला- 'आप मेरे अग्रज हैं। अनुज के अपराध को क्षमा करें । आप निःशंक होकर लंका पर राज्य करें । मैं अन्यत्र चला जाऊँगा । कारण पृथ्वी विपुला है।' (श्लोक १२५-१२८) उसी जीवन में मुक्ति का अधिकारी वैश्रवण ने प्रतिमा धारण कर रखी थी अतः रावण के कथन का प्रत्युत्तर नहीं दिया। उन्हें निःस्पह देखकर रावण ने उनसे क्षमा प्रार्थना की और लंका एवं पूष्पक विमान पर अपना अधिकार कर लिया । तदुपरान्त विजय लक्ष्मीरूपा लता के पुष्प की तरह उसी विमान पर बैठकर वह सम्वेत शिखर पर अर्हत वन्दना के लिए गया । अर्हत वन्दना के पश्चात् नीचे उतरते समय रावण ने सैन्यदल के कोलाहल की भाँति वन्य हस्ती की गर्जना सुनी। उसी समय प्रहस्त नामक एक प्रतिहारी आकर रावण से बोला, 'हे देव, यह हस्तीरत्न आपका वाहन बनने के योग्य है। यह सुनते ही रावण वहाँ गया और सात हाथ ऊँचे, नौ हाथ दीर्घ एक हस्ती को देखा जिसके दाँत ऊँचे और दीर्घ थे। जिसके नेत्र मधु या दीपशिखा की भाँति पिंगल थे, जिसका कुम्भस्थल शैल-शिखर की तरह उन्नत और मदरूपी नदी का उद्गम स्थल था। रावण ने खेल ही खेल में उस हाथी को वश में कर लिया और उसकी पीठ पर चढ़कर बैठ गया। उसकी पीठ पर बैठा
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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