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________________ [269 इसी भरत क्षेत्र में भगवान अनन्तनाथ के तीर्थ में नरपुर नामक नगर में मनुष्यों में अभिराम नराभिराम नामक राजा राज्य करते थे। कालान्तर में उन्होंने विरक्त होकर प्रव्रज्या ग्रहण कर ली और मृत्यु के पश्चात् सनत्कुमार देवलोक में महद्धिक देवरूप में उत्पन्न हुए। पांचाल देश की अलङ्कार रूप काम्पिल्य नामक एक नगरी थी। जिसकी समृद्धि स्वर्ग-सी थी और जो शत्रुओं द्वारा अपराजेय थी। यहाँ के राजा का नाम था महाहरि । इक्ष्वाकु वंश के अलङ्कार रूप महाहरि हरि की भाँति शक्तिशाली और पृथ्वी में प्रसिद्ध थे। उनकी रानी का नाम था मेरा। वह कमलवदनी चारित्र रूपी भूषण से विभूषित और स्व सौन्दर्य से पृथ्वी को गौरवान्वित कर रही थी। (श्लोक २-६) नराभिराम का जीव स्वर्ग से च्युत होकर उनके गर्भ में अवतरित हुआ। चौदह स्वप्नों ने चक्रवर्ती का जन्म सूचित किया। यथा समय उन्होंने एक स्वर्ण वर्ण युक्त पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम रखा गया हरिषेण । वह पन्द्रह धनुष दीर्घ था। उसे युवराज पद पर अभिषिक्त किया गया। (श्लोक ७-८) जब वे महापराक्रम के साथ अपने पिता के राज्य का संचालन कर रहे थे उनकी आयुधशाला में चक्र रत्न उत्पन्न हुमा । क्रमश: पुरोहित, वर्द्धकी, सेनापति आदि ३ रत्न उत्पन्न हुए। चक्ररत्न का अनुसरण करते हुए वे पूर्व में मगध तीर्थ में जाकर उपस्थित हुए। दिग्विजय के प्रारम्भ में ही उन्होंने मगध तीर्थ को जय कर लिया। उसके बाद वे दीर्घबाहु दक्षिण गए और दक्षिण समद्र स्थित वरदाम पति को जीत लिया। तदुपरान्त पृथ्वी पर इन्द्र के समान अटूट शक्ति सम्पन्न वे पश्चिम में गए और प्रभासपति पर जय प्राप्त कर लिया। श्लोक ९-१३) __दिग्गज-से महाशक्ति सम्पन्न दसवें चक्रवर्ती तब सिन्धुनद के निकट गए और क्रमशः उसे भी जीत लिया। इसी प्रकार दिग्विजय कुशल वे वैताढय पर्वत के निकट गए और यथा नियम वैताढ्य पति को भी जीत लिया। तदुपरान्त उन्होंने कृतमाल देव को जीतकर सिन्धु के पश्चिम में अवस्थित प्रदेश सेनापति द्वारा जय कर लिया। (श्लोक १४-१६) ___सेनापति द्वारा तमिस्रा गुहा का द्वार उन्मुक्त कर देने पर वे हस्ती पृष्ठ पर आरोहण कर उसमें प्रविष्ट हुए। हस्ती के
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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