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________________ [263 गहन चन्द्रिका की भाँति दृष्टि को आनन्दितकारी वे अपनी उपस्थिति से ही पृथ्वी को पवित्र कर रही थीं। सत्य, शील आदि समस्त गुण उनमें इतने परिपूर्ण रूप में थे कि वे रमणियों में दृष्टांत स्वरूप थीं। (श्लोक १०-१८) अपराजित विमान में ३३ सागरोपम की आयु व्यतीत कर सिद्धार्थ का जीव वहाँ से च्युत होकर अश्विनी नक्षत्र का योग आने पर आश्विन पूर्णिमा के दिन रानी वप्रा के गर्भ में प्रविष्ट हुआ। त्रिलोक में एक दिव्य आलोक व्याप्त हो गया। तदुपरान्त रात्रि के शेष याम में उन्होंने तीर्थकर जन्मसूचक चौदह महास्वप्न देखे । पिता की इच्छा की भांति वर्द्धमान वह भ्र ण माँ की कोमलता को ज्ञात कर उन्हें बिना कोई कष्ट दिए क्रमशः वद्धित होने लगा। समय पूर्ण होने पर अश्विनी नक्षत्र के योग से श्रावण शुक्ला कृष्णा अष्टमी को नीलकमल लांछनयुक्त एक स्वर्ण-वर्ण पुत्र को रानी वप्रा ने जन्म दिया। सिंहासन कम्पित होने के कारण दिक्कुमारियों ने आकर माता और पुत्र का जन्म कृत्य सम्पन्न किया। शक नवजातक को मेरुपर्वत पर ले गए। वहां अच्युतादि देवेन्द्रों ने तीर्थजल से उनका अभिषेक किया। स्नानशेष होने पर शक ने त्रिलोकपति की पुष्पादि से पूजा की, दीप प्रज्वलित किया और इस भांति स्तुति करने लगे . (श्लोक १९-२६) ___'हे मोक्षमार्ग के प्रवर्तक ! सर्वकर्मविनाशक और राग-द्वेष को जीतने वाले हे भगवन् ! आपकी जय हो। मिथ्या मतनाशक, सत्यपथ-प्रदर्शक, जगत् के शिक्षक हे त्रिलोकपति, मैं आपको प्रणाम करता हूं। आपके कारण ही जगत् को नेतृत्व प्राप्त हुआ है। आप ही समस्त क्षेत्रों के निरीक्षक हैं, दुष्टों के दमनकारी और जगत् के शुभङ्कर हैं। धर्म बीज का संग्रह करने वाले, अप्राकृत गुणों के धारक, आगम ज्ञान के प्रवक्ता हे भगवन् ! मैं आपको प्रणाम करता हं। अब से मोक्ष-मार्ग को प्रदर्शित करने वाले, धर्म और अभयदान करने वाले, हे त्रिलोकशरण्य ! मैंने आपकी शरण ग्रहण की है। हे त्रिलोकपति, इस जीवन में आप जिस प्रकार मेरे प्रभु बने हैं उसी भाँति जन्म-जन्म में आप मेरे प्रभु बनें। इसके अतिरिक्त मेरी कोई कामना नहीं है।' __ (श्लोक २७-३४) इस प्रकार स्तुति कर इन्द्र ने नियमानुसार प्रभु को वप्रादेवी
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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