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________________ 264] के पास ले जाकर सुला दिया। सुबह राजा ने कारावास से बन्दियों को मुक्त कर महान् आनन्द के साथ पुत्र का जन्मोत्सव मनाया । जब प्रभु गर्भ में थे तब शत्रुओं ने नगरी को घेर लिया था और देवी वप्रा प्रासाद-शिखर पर चढ़ी थी । भ्रूण के प्रभाव से उन्हें देखने मात्र से हो शत्रुओं ने वश्यता स्वीकार कर ली थी इस कारण नवजातक का नाम रखा - नमि । शक्र द्वारा नियुक्त धात्रियों द्वारा पालित होकर नमि द्वितीय चन्द्र की भाँति वद्धित होने लगे । ( श्लोक ३५ - ३९ ) 1 बाल्यकाल व्यतीत होने पर १५ धनुष दीर्घ प्रभु ने पिता के आदेश से विवाह किया । पच्चीस वर्ष के होने पर प्रभु ने अपने भोगावली कर्मों को ज्ञात कर पिता की आज्ञा से राज्य भार ग्रहण किया । राज्य ग्रहण के पचास हजार वर्ष पश्चात् लोकान्तिक देवों ने आकर उनसे निवेदन किया- 'देव, तीर्थ स्थापित करें ।' स्वपुत्र सुप्रभ को सिंहासन पर बैठाकर भगवान् नमि ने जृम्भक देवों द्वारा आनीत धन को एक वर्ष तक दान किया । (श्लोक ४०-४३) सुप्रभ और अन्यान्य राजाओं द्वारा एवं शक्र और देवों द्वारा परिवृत होकर प्रभु देवकुरु नामक पालकी में बैठकर सहस्राम्रवन उद्यान में गए । वे उस निकुञ्ज में पधारे जहाँ अजस्र भ्रमरगण कदम्बपुष्प को चूम रहे थे । माली मल्लिका फूल आहरण कर रहा था । धरती झरे हुए रक्तवर्ण किंशुक से आच्छादित हो गई थी । शिरीष पुष्पों ने प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए वेदि का निर्माण कर रखा था । फुहारों से उत्क्षिप्त जलकण ग्रीष्मकाल में भी वर्षाऋतु के आविर्भाव की सूचना दे रहे थे । आषाढ़ कृष्णा नवमी अश्विनी नक्षत्र के योग में दो दिन के उपवास किए हुए प्रभु ने एक हजार राजाओं के साथ दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करते ही प्रभु को मनपर्यव ज्ञान की प्राप्ति हो गई । द्वितीय दिन वीरपुर के राजा दत्त के घर खीरान्न ग्रहण कर उन्होंने पारणा किया। देवों ने रत्नवर्षादि पञ्च दिव्य प्रकट किए। राजा दत्त ने वहाँ रत्नवेदी का निर्माण करवाया । प्रभु वहाँ से विहार कर नौ मास तक प्रव्रजन करते रहे । ( श्लोक ४४-५० ) नौ मास के पश्चात् जहाँ उन्होंने दीक्षा ग्रहण की थी उसी सहस्राम्रवन उद्यान में गए और षष्ठ तप के पश्चात् वकुल वृक्ष के
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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