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________________ 256] करने का आदेश दिया; किन्तु शत्रुघ्न ने राज्य और संसार से विरक्त होकर राम के साथ ही दीक्षा लेने की इच्छा व्यक्त की। तब राम लवण के पुत्र अनङ्गदेव को राज्य देकर चतुर्थ पुरुषार्थ मोक्ष की साधना के लिए तत्पर हुए। श्रावक अर्हद्दाम ने मुनि सुव्रत स्वामी की अविच्छिन्न परम्परा में आगत मुनि सुव्रत ऋषि का नाम बताया। राम उनके पास गए। वहाँ जाकर उन्होंने शत्रुघ्न, विभीषण, विराध आदि अनेक राजाओं के साथ दीक्षा ग्रहण कर ली। राम ने संसार का परित्याग किया उस समय अन्यान्य सोलह हजार राजाओं ने भी उन्हीं के साथ दीक्षा ग्रहण की। इसी प्रकार तैतीस हजार स्त्रियों ने भी दीक्षा ग्रहण की। वे श्रीमती साध्वी के संघ में रहने लगीं। (श्लोक १७५-१८१) गुरु चरणों में रहकर उन्होंने पूर्णाङ्ग श्रुति का अध्ययन कर नाना प्रकार के अभिग्रहों सहित साठ वर्ष तक तपस्या की। तदुपरान्त गुरु आज्ञा से वे अकेले ही विहार करने लगे और निर्भय होकर गिरि-कन्दराओं में रहने लगे। जिस रात्रि वे ध्यानस्थ होकर बैठे थे उन्हें अवधि ज्ञान उत्पन्न हुआ। अवधि ज्ञान के कारण वे चौदह राजलोक को हस्तामलकवत् देखने लगे। अवधिज्ञान से वे यह भी जान गए कि उनके अनुज लक्ष्मण की दो देवों ने कपट द्वारा हत्या की थी और लक्ष्मण अभी नरक में पड़े हुए हैं । (श्लोक १८२-१८५) तब राम सोचने लगे-पूर्वभव में मैं धनदत्त नामक वणिक था। लक्ष्मण उस भव में भी वसुदत्त नामक मेरा भाई था । वसुदत्त ने उस जन्म में बिना कोई सुकृत्य किए मृत्यु प्राप्त की। इसीलिए कई जन्म तक वह संसार भ्रमण करता रहा। तत्पश्चात् इस जन्म में वह मेरा भाई हआ। यहाँ भी उसने १०० वर्ष कुमारावस्था में, ३०० वर्ष माण्डलिक रूप में, ४० वर्ष दिग्विजय में, ११५६० वर्ष राज्य शासन करते हुए व्यतीत किए। उसकी १२००० वर्षों की आयु किसी भी प्रकार का सत्कार्य किए बिना ही व्यतीत हुई। इसलिए अन्त में उसे नरक जाना पड़ा । कपटी देवों का इसमें कोई दोष नहीं है। कारण प्राणी मात्र को कर्म विपाक को इसी प्रकार भोगना पड़ता है। (श्लोक १८६-१९१) ऐसा विचार कर राम कर्म उच्छेद के लिए विशेष रूप से
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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