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________________ [255 यह देखकर राम बोले, 'अरे ओ मूर्ख ! शुष्क वृक्ष को क्यों सींच रहा है ? इसमें फल लगना तो दूर एक अंकुर भी नहीं निकलेगा । तू क्यों पाषाण में कमल लगा रहा है ? यह तो निर्जल मरुभूमि में खाद देकर बीज- वपन करने जैसा है । आज तक क्या कभी किसी ने बालू से तेल निकाला है ? उपाय का सही तरीका नहीं जानने के कारण तुम्हारा समस्त प्रयास वृथा हो रहा है ।' ( श्लोक १६४-१६६) राम की बात सुनकर जटायु देव हँसकर बोले, 'हे भद्र ! यदि आप इतना समझते हैं तब अज्ञानता के चिह्न रूप इस शव को कन्धे पर लिए क्यों घूम रहे हैं ? ' ( श्लोक १६७ ) सुनकर लक्ष्मण की देह को आलिङ्गन में लेकर ऐसी अमङ्गलकारी बात क्यों बोल रहा है ? के सामने से ।' ( श्लोक १६८ ) जटायु को राम ने जो कुछ कहा वह कृतान्तवदन सारथी ने जो कि देवलोक में देव हुआ था, अवधिज्ञान से ज्ञात किया । वह भी राम को बोध देने के लिए राम के पास आया और एक पुरुष का रूप धारण कर एक स्त्री की मृत देह को कन्धे पर डालकर राम के पास गया । उसे देखकर राम बोले, 'लगता है तुम पागल हो गए हो ? तभी तो स्त्रो की मृत देह को कंधे पर लिए घूम रहे हो ।' ( श्लोक १६९ - १७० ) तब देव ने कहा, 'तुम ऐसा अमङ्गलकारी वचन क्यों बोल रहे हो ? यह मेरी प्रिय पत्नी है । फिर एक बात और है, तुम स्वयं क्यों इस मृतदेह को लिए घूम रहे हो ? हे बुद्धिमान् ! यदि तुम मेरी पत्नी को मृत समझ रहे हो तो अपने कंधे पर लादे हुए शव को मृत क्यों नहीं समझते ?' इसी भाँति और भी बातें उसने राम से कहीं । इससे राम प्रबुद्ध हो गए। तब वे समझ पाए कि लक्ष्मण सचमुच ही मर गया है, वह जीवित नहीं है । राम को वास्तविकता का ज्ञान हो गया है, यह देखकर जटायु और कृतान्तवदन देव राम को अपना परिचय देकर स्वस्थान चले गए । देव की बात राम बोले, 'अरे ओ, दूर हो जा मेरी आँखों (श्लोक १७१-१७४) तदुपरान्त राम ने अनुज का मृत-कर्म सम्पन्न किया और दीक्षा लेने की इच्छा व्यक्त की । उन्होंने शत्रुघ्न को राज्य ग्रहण
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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