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________________ 250] बना है । जिसने इन्हें शिक्षा-दान दिया है।' (श्लोक ८२-८७) इस प्रकार जयभूषण मुनि से पूर्वजन्म की कथा सुनकर अनेक के मन में वैराग्य उत्सन्न हो गया । राम के सेनापति कृतान्त ने तत्काल दीक्षा ग्रहण कर ली। राम लक्ष्मण जय मुनि को वन्दना कर सीता के पास गए। सीता को देखकर राम चिन्तित होकर सोचने लगे, शिरीष कुसुम-सी कोमल सीता शीत और ग्रीष्म का दुःख कैसे सहन करेगी? यह कोमलाङ्गी समस्त भारों से अधिक और हृदय से अधिक दुर्वह, संयम भार को किस प्रकार सहन करेगी? फिर सोचने लगे जिसके सतीत्व को रावण भी भङ्ग नहीं कर सका वह सती संयम में भी अपनी प्रतिष्ठा का निर्वाह अवश्य करेगी। तदुपरान्त राम ने सीता को वन्दना की, शुद्ध हृदयी लक्ष्मण एवं अन्यान्य राजाओं ने भी उनकी वन्दना की। तत्पश्चात् राम स्व-परिजनों सहित अयोध्या लौट गए। (श्लोक ८८-९४) सीता और कृतान्तवदन ने उग्र तपस्या करना प्रारम्भ किया। कृतान्तवदन तपस्या करते हुए मृत्यु प्राप्त कर ब्रह्म देवलोक में देवरूप में उत्पन्न हुए। सीता ने साठ वर्ष तक विभिन्न प्रकार की तपस्याएँ कर तैतीस दिन और रात्रि अनशन में रहकर मृत्यु प्राप्त की। मृत्यु के पश्चात् अच्युतेन्द्र के रूप में उत्पन्न हुईं। उनका आयुष्य बाईस सागरोपम का था। (श्लोक ९४-९६) वैताढ्य पर्वत पर कांचनपुर नामक एक नगर है। वहाँ विद्याधर राजा कनकरथ राज्य करते थे। उनके मन्दाकिनी और चन्द्रमुखी नामक दो कन्याएँ थीं। उन्होंने उनके स्वयंवर का आयोजन किया उसमें पुत्रों सहित राम-लक्ष्मणादि बड़े-बड़े राजाओं को आमन्त्रित किया । सभी स्वयंवर-मण्डप में एकत्र हुए। मन्दाकिनी ने अनङ्ग लवण को और चन्द्रमुखी ने मदनांकुश को स्वेच्छा से वरण किया। यह देखकर लक्ष्मण के २५० पुत्र क्रुद्ध होकर युद्ध के लिए तत्पर हो गए। यह सुनकर लवणांकुश बोले, 'उनके साथ युद्ध कौन करेगा? हम नहीं करेंगे। कारण वे हमारे भाई हैं इसलिए अवध्य हैं। जिस प्रकार राम-लक्ष्मण में छोटे-बड़े का कोई पार्थक्य नहीं है, उसी प्रकार हम लोगों में भी पार्थक्य रहना उचित नहीं है। गुप्तचरों ने लक्ष्मण के पुत्रों से जाकर यह बात कही। लक्ष्मण के पुत्रों ने यह सुनकर अकृत्य विचार के लिए
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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