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________________ 1247 आप यदि मुझे उस समय नमस्कार मन्त्र नहीं सुनाते तो मैं मरकर तिथंच योनि या अन्य किसी नीच योनि में उत्पन्न होता। इसलिए आप मेरे प्रभु, गुरु, देव सब कुछ हैं। अतः आपका दिया हुआ यह राज्य ग्रहण करिए।' तत्पश्चात् वृषभध्वज और पद्मरुचि एक साथ रहने लगे। वृषभध्वज पूर्णतः श्रावक धर्म का पालन करने लगा। वे दोनों बहुत दिनों तक श्रावक धर्म का पालन कर मृत्यु के पश्चात् ईशान देवलोक में परम महद्धिक देव रूप में उत्पन्न हुए। पद्मरुचि वहाँ से च्युत होकर मेरु पर्वत का जो वैताढय गिरि है वहाँ के नन्दावर्त नामक नगर में नन्दीश्वर नामक राजा के घर में कनकाभा नामक रानी के गर्भ से पुत्र रूप में उत्पन्न हुआ। उसका नाम नयनानन्द रखा गया। वहाँ राज्य सुख भोगकर उसने दीक्षा ली और मृत्यु के पश्चात् महेन्द्र नामक चतुर्थ देवलोक में उत्पन्न हुआ। वहाँ से च्यवकर पूर्व विदेह की क्षेमपुरी के राजा विपुलवाहन की रानी पद्मावती के गर्भ से पुत्र रूप में उत्पन्न हुआ। उसका नाम श्रीचन्द रखा गया। वहाँ भी राज्य भोग के पश्चात् समाधिगुप्त मुनि से दीक्षा ग्रहण कर तपस्या करते हुए मृत्यु को प्राप्त हुआ। मृत्यु के पश्चात् वह ब्रह्म नामक पंचम देवलोक में इन्द्र रूप में उत्पन्न हुआ। वहाँ से च्युत होकर वही अब महा-बलवान् रामभद्र रूप में तुम हुए हो। वृषभध्वज का जोव अनुक्रम से सुग्रीव हुआ है। (श्लोक ३८-५१) 'श्रीकान्त का जीव भव-भ्रमण कर मृणालकन्द नगर में शम्भुराज की रानी हेमवती के गर्भ से वज्रकण्ठ नामक पुत्र के रूप में उत्पन्न हुआ। वसुदत्त भी भव-भ्रमण करता हुआ शम्भुराज के पुरोहित विजय की पत्नी रत्नचड़ा के गर्भ से श्रीभूति नामक पुत्र रूप में उत्पन्न हुआ। गुणवती भव-भ्रमण कर भवभूति की पत्नी के गर्भ से उत्पन्न हुई। उसका नाम रखा गया वेगवती। क्रमशः बड़ी होने पर उसने यौवन प्राप्त किया। एक दिन प्रतिमाधारी मुनि को वन्दना करने जाते हुए लोगों को देखकर वह हँसते हुए बोली, 'मैंने इन्हें कुछ समय पहले स्त्री-सम्भोग करते हए देखा है। अभी उस स्त्री को इन्होंने कहीं छपा रखा है। अतः तुम लोग इन्हें क्यों वन्दना कर रहे हो ?' वेगवती के कथन से लोगों का मनभाव बदल गया। उन्हें कलङ्की कहकर लोग उन पर उपसर्ग करने लगे।
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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