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________________ [15 कर पर्वत शिखर और बड़ी-बड़ी शिलाओं को लाकर उनके सम्मुख फेंकने लगे। कोई सर्प बनकर चन्दन वक्ष वेष्टन करने की भांति उनकी देह से लिपट गया। कोई सिंह बनकर उनके सामने गरजने लगा। कोई भाल, बाघ, बन्दर और बिलाव का रूप धारण कर उन्हें डराने लगा। तब भी तीनों भाई जरा भी क्षब्ध नहीं हए । तब वे कैकसी, रत्नश्रवा एवं उनकी बहन चन्द्रनखा का प्रतिरूप सृष्टिकर उन्हें बद्ध अवस्था में उनके सामने लाकर पटक दिया। माया निर्मित कैकसी रत्नश्रवादि तब अश्रुजल प्रवाहित करते हुए इस प्रकार विलाप करने लगे (श्लोक ३७-४६) _ 'निषाद जैसे पशुओं को बाँधकर ले जाता है उसी प्रकार ये हम लोगों को बांध लाए हैं। ये निर्दयी तुम्हारे सम्मुख हम पर अत्याचार कर रहे हैं और तुम लोग शान्त हो? हे दसस्कन्ध, उठो उठो, हमारी रक्षा करो। एक लक्ष्य होकर तुम लोग क्या हमारी उपेक्षा कर रहे हो? हे दसस्कन्ध जब तुम छोटे थे तब तुमने स्वयं ही महामाला धारण कर ली थी। आज तुम्हारा वह भुजबल और दर्प कहां गया ? हे कुम्भकर्ण, हम लोगों की ऐसी दीनावस्था देखकर भी तुम किस प्रकार संसार-विरक्त की भांति हम लोगों के प्रति उदासीन हो गए हो? हे विभीषण, आज तक तुम एक मुहूर्त के लिए भी हमारी भक्ति से विरक्त नहीं हुए तो क्यों आज मेरे दुर्भाग्य ने तुम्हारी बुद्धि को विभ्रान्त कर दिया है।' (श्लोक ४७-५१) इस प्रकार के करुण विलाप को सुनकर भी जब वे ध्यान से विचलित नहीं हुए तब यक्ष के अनुचरों ने उनके सम्मुख ही उनकी हत्या कर डाली। इससे भी जब वे विचलित नहीं हुए मानो उनके सम्मुख उनकी हत्या हुई ही नहीं, तब वे माया की सहायता से विभीषण और कुम्भकर्ण का मस्तक काटकर रावण के सम्मुख और रावण का मस्तक काटकर विभीषण और कुम्भकर्ण के सम्मुख फेंक दिया। रावण का माथा देखकर दोनों भाई कुछ क्रुद्ध हुए। इसका कारण था उनकी बड़ों के प्रति भक्ति, अल्पसत्त्व नहीं। परमार्थ के ज्ञाता रावण ने इस अनर्थ की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया बल्कि विशेष रूप से दृढ़ होकर पर्वत की भांति स्थिर हो गया। तब आकाश में 'साधु साधु' शब्द गूंज उठा। इस देववाणी को सुनकर यक्ष के अनुचर भयभीत होकर वहां से भाग छूटे । (५२-५७
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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