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________________ [221 राम के चार पत्नी थीं। उनके नाम हैं-सीता, प्रभावती, रतिनिभा और श्रीदामा । (श्लोक २५३) एक समय सीता ऋतुस्नाता थी। सोते हुए रात्रि के शेष भाग में उसने स्वप्न देखा। देखा कि देव विमान से च्युत होकर दो अष्टापद जीव उसके मुख में प्रवेश कर रहे हैं । उसने अपना वह स्वप्न राम को सुनाया। राम बोले, 'हे देवी ! तुम्हारे दो वीर पुत्र होंगे; किन्तु यह सुनकर मुझे आनन्द नहीं हुआ कि देव-विमान से च्युत होकर दो अष्टापद जीव तुम्हारे मुख में प्रवेश कर गए । ___(श्लोक २५४-२५५) सीता बोली, 'हे देव ! धर्म और आपके प्रभाव से सब कुछ अच्छा ही होगा।' उसी दिन सीता ने गर्भ धारण किया। सीता प्रारम्भ से ही राम को प्रिय थी। गर्भ धारण के पश्चात् वह प्रेम और बढ़ गया। वह राम के नेत्रों को तृप्त करने में चन्द्रिका के समान थी। (श्लोक २५६-२५७) सीता गर्भवती हो गई यह सुनकर उसकी सौतिनों के मन में ईर्ष्या उत्पन्न हो गई। वे सीता को प्रतारित करने के लिए उससे बोली, 'रावण कैसा था, हमें अङ्कित कर बताओ?' सीता बोली, मैंने उसका शरीर नहीं देखा केवल पाँव देखे थे। अतः शरीर कैसे अङ्कित कर दिखाऊँ ?' वे बोलीं, 'तब पांव ही अङ्कित कर दिखाओ। उसे देखने की हमारी बहुत इच्छा है।' (श्लोक २५८-२६०) ___ सौतिनों के आग्रह से सरलमति सीता ने रावण के चरण चित्रित कर दिए। अकस्मात् राम उसी समय वहाँ आए। उन्हें आते देखकर सौतिनें बोल उठीं-'स्वामिन् ! देखिए, आपकी प्रिय सीता अभी भी रावण को याद करती है। देखिए ना सीता ने रावण के दोनों चरण अङ्कित किए हैं। सीता तो अभी भी रावण की इच्छा रखती है। आप यह बात ध्यान में रखें।' किन्तु, राम ने कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया । गम्भीर होकर वहाँ से चले गए। सीता को पता भी नहीं चला कि वहाँ राम आए थे। सीता को दोषी कहकर उसकी सौतिनों ने अपनी दासियों द्वारा यह बात नगर में प्रचारित करवा दी। इससे नगर के लोग सीता को सदोष कहने लगे। (श्लोक २६०-२६४)
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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