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________________ 202] ठीक तो यही रहेगा कि राम और लक्ष्मण को बन्दी बनाकर यहाँ ले आऊँ फिर उन्हें सीता देकर छोड़ दूं। उससे संसार में मेरा यश होगा और मेरी गणना धर्मात्मा में होगी। ऐसा सोचते हुए रावण अपने प्रासाद में चला गया। विभिन्न प्रकार की चिन्ता में उसने वह रात्रि व्यतीत की। (श्लोक ३५८-३६१) __ भोर होते ही रावण ने युद्ध के लिए प्रयाण किया । जाने के समय अनेक अपशकुन हुए; किन्तु उसने किसी की भी परवाह नहीं की। राम और रावण की सेना में पुनः युद्ध आरम्भ हुआ। योद्धाओं की हुंकार व उनके ताल ठोकने की आवाज से दिग्गज भी काँप उठे। (श्लोक ३६२-३६३) जिस प्रकार रूई को हवा उड़ा देती है उसी प्रकार राक्षस वीरों को पथ से हटाकर लक्ष्मण रावण पर बाण-वर्षा करने लगे। लक्ष्मण का पराक्रम देखकर रावण को स्व-विजय लाभ की चिन्ता होने लगी। अतः उसने जीत के लिए भयङ्कर बहरूपिणी विद्या को स्मरण किया। स्मरण मात्र से विद्या आकर उपस्थित हो गई। उसके द्वारा रावण ने अत्यन्त भयङ्कर रूप धारण किया। लक्ष्मण धरती पर, आकाश में, दोनों पार्श्व में, पीछे-सामने शस्त्र बरसाते हुए अनेक रावण को देखने लगे। लक्ष्मण तो मात्र एक ही थे। फिर भी गरुड़ पर बैठकर शीघ्रतापूर्वक बाण बरसाते हुए उन्हें देखकर भी लगने लगा कि जितने रावण हैं, उतने ही लक्ष्मण हैं। वे अनेक रावण का संहार करने लगे। वासूदेव लक्ष्मण के बाणों से रावण व्याकुल हो उठा। उसने अर्द्धचक्री के चिह्न स्वरूप जाज्वल्यमान चक्र का स्मरण किया। चक्र प्रकट होते ही क्रोधारक्त नेत्रों वाले रावण ने अपने चक्ररूपी अन्तिम अस्त्र को आकाश में घुमाकर लक्ष्मण पर निक्षेप किया। वह चक्र लक्ष्मण की प्रदक्षिणा करके उदयगिरि शिखर पर जैसे सूर्य उठ जाता है उसी प्रकार उनके दाहिने हाथ में आ गया। श्लोक ३६४-३७१) यह देखकर रावण दुःखी मन से विचारने लगा-मुनि की बात सत्य हई। विभीषण आदि का निर्णय भी ठीक था । रावण को दुःखी देखकर विभीषण बोला-'हे अग्रज ! यदि बचना चाहते हो तो अब भी सीता का परित्याग कर दो।' यह सुनकर क्रुद्ध हुए रावण ने प्रत्युत्तर दिया, 'मुझे उस चक्र की क्या आवश्यकता है ?
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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