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________________ [155 ही सीता का संवाद ले आऊँगा।' (श्लोक १०३-१०५) __तब राम सुग्रीव सहित किष्किन्धा गए । विराध ने भी उनके साथ जाना चाहा; किन्तु राम ने उसे समझाकर रोक दिया । राम किष्किधा में प्रवेश न कर द्वार के निकट ही अवस्थित हो गए । तदुपरान्त असली सुग्रीव ने नकली सुग्रीव को युद्ध के लिए आह्वान किया। वह उसी समय गर्जन करता हआ बाहर निकला। भोजन करने में ब्राह्मण जिस प्रकार आलस नहीं करते उसी प्रकार वीर भी युद्ध में आलस नहीं करते । दुर्द्धर चरणों की चोट से पृथ्वी को आहत करते हुए वे दोनों वीर अरण्य के उन्मत्त हस्ती की तरह युद्ध करने लगे। राम दोनों का एक रूप देखकर स्व-सुग्रीव और दूसरे सुग्रीव को नहीं पहचानने के कारण संशयान्वित होकर तटस्थ बने खड़े रहे। तदुपरान्त 'प्रथम यह करना उचित है' समझकर वज्रावतं धनुष पर टंकार किया। उस टंकार से साहसगति को रूपान्तर करने वाली विद्या उसी क्षण हरिणी की भाँति भाग गई। साहसगति स्व-रूप मैं आ गया। तब राम ने उसका तिरस्कार किया और बोले, 'ओ पापी ! माया से सबको मुग्ध कर तू पर-स्त्री को भोगना चाहता था ? अब धनुष उठा'-ऐसा कहते हुए एक ही बाण से उसे मार डाला। हरिण को मारने के लिए सिंह को दूसरा थप्पड़ मारने की आवश्यकता नहीं होती। तदुपरान्त विराध की तरह राम ने सुग्रीव को भी सिंहासन पर बैठाया । पुरजन और अनुचरगण पूर्व की भाँति ही उसकी सेवा करने लगे। (श्लोक १०६-११५) सुग्रीव ने हाथ जोड़कर अपनी तेरह कन्याओं के साथ विवाह करने के लिए राम से अनुरोध किया। प्रत्युत्तर में राम ने कहा, सुग्रीव ! उन कन्याओं की या किसी भी अन्य वस्तु की मुझे कोई आवश्यकता नहीं है।' ऐसा कहकर राम बाहर उद्यान में चले गए । सुग्रीव ने राम की आज्ञा से नगर में प्रवेश किया। (श्लोक ११६-११८) उधर लङ्का में मन्दोदरी आदि रावण की रानियाँ खर-दूषण आदि की मृत्यु का समाचार सुनकर रोने लगीं। रावण की बहिन चन्द्रनखा भी दोनों हाथों से छाती पीटती हुई सुन्द को संग लेकर रावण के पास गई। रावण को देखकर उसका गला पकड़कर उच्च स्वर में रोती हुई बोलने लगी, 'अरे, देवों द्वारा मैं मारी गई । मेरा
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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