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________________ [139 और अनुक्रम से कुम्भकारकट नगर के निकट पहुंच गए। (श्लोक ३४२-३४७) उन्हें दूर से देखते ही क्रूर पालक को पूर्व वैर स्मरण हो आया। इसलिए उसने उसी समय साधू के निवास योग्य उद्यानों में जमीन के नीचे अस्त्र-शस्त्रादि रख दिए। (श्लोक ३४८) उन्हीं उद्यानों में से एक उद्यान में स्कन्दकाचार्य जाकर अवस्थित हुए । परिवार सहित राजा दण्डक उन्हें वन्दना करने आए । स्कन्दकाचार्य ने देशना दी। उस देशना को सुनकर लोग आनन्दित हुए। देशना की समाप्ति पर हर्षित चित्त लिए राजा अपने प्रासाद को लौट गए। (श्लोक ३४९-३५०) उस समय दुष्ट पालक राजा को एकान्त में बोला, 'यह स्कन्दक मुनि बगुलाधर्मी विधर्मी है। हजार-हजार योद्धाओं से युद्ध कर सके ऐसे-ऐसे सहस्रायुधी पुरुषों को मुनिवेश पहनाकर यह महाशठ उनकी सहायता से आपकी हत्या कर आपका राज्य लेने के लिए यहाँ आया है। उस उद्यान में मुनि वेशधारी योद्धागणों ने गुप्त रीति से अपने अस्त्रादि छिपा रखे हैं। आप स्वयं जाकर सत्यअसत्य का निरूपण करें।' (श्लोक ३५१-३५३) पालक के कथनानुसार राजा ने मुनियों का निवास स्थान खदवाया। वहाँ उन्होंने विभिन्न विचित्र प्रकार के अस्त्र-शस्त्र दबे हुए देखे । इस पर दण्डक ने बिना विचार किए ही पालक को आदेश दिया, 'मन्त्रीवर ! तुम इस षड्यन्त्र की बात जान गए यह अच्छा हुआ। मैं तो तुम्हारे द्वारा नेत्र सम्पन्न हूं। अब इस दुर्मति स्कन्दक को जो भी दण्ड देना चाहो दो। कारण, तुम सब कुछ जानते हो । इस विषय में अब तुम मुझ से दुबारा कुछ नहीं पूछना।' (श्लोक ३५४-३५६) ऐसी आज्ञा पाते ही पालक ने मनुष्य को पीसकर मार डालने का एक यन्त्र तैयार करवाया और उसे उद्यान में रखवा दिया। तदुपरान्त वह स्कन्दक के सम्मुख ही उनके एक-एक मुनि को पीसकर मरवाने लगा। (श्लोक ३५७) प्रत्येक मुनि को पीसकर मारने के समय स्कन्दकाचार्य ने सम्यक् आराधना करवाई। इस प्रकार समस्त मुनियों को पीसकर मार डाला गया। अन्ततः एक बालक मुनि बच गए। उसको जब
SR No.090517
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1994
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size20 MB
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