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________________ [47 1 । उच्च कोटि का नृत्य कर रहे थे। कोई विट (धूर्त) और चेट (भांड) की तरह हँसाने के लिए विचित्र प्रकार की चेष्टा कर रहे थे । कोई व्यवस्थित रूप से गायक की भांति गीत गा रहे थे । कोई ग्वाले की तरह चिल्लाकर गा रहे थे । कोई बत्तीस पात्रों के नाटक का अभिनय दिखा रहे थे । कोई गिर रहे थे, कोई कूद रहे थे, कोई रत्न वर्षा कर रहे थे, कोई स्वर्णवृष्टि कर रहे थे, कोई श्रलंकार बरसा रहे थे । कोई कपूर, चन्दन इत्यादि के चूर्ण उत्क्षिप्त कर रहे थे । कोई माल्य, फल, फूल बरसा रहे थे । कोई चतुरतापूर्वक चल रहे थे, कोई सिंहनाद कर रहे थे । कोई अश्व की तरह हिनहिना रहे थे कोई हस्ती की तरह चिंघाड़ रहे थे । कोई रथं चक्र की ध्वनि कर रहे थे । कोई तीन नाद (ह्रस्व, दीर्घ और लुप्त) कर रहे थे । कोई पाद प्रहार से मन्दराचल को कम्पित कर रहे थे कोई चपेटाघात से पृथ्वी को चूर्ण कर रहे थे । कोई आनन्द के आधिक्य में बार-बार कोलाहल कर रहें थे । कोई मण्डल तैयार कर रास कर रहे थे । कोई श्रग्नि में जल रहे हों ऐसा विभ्रम पैदा कर रहे थे। कोई कौतुकं से शब्द कर रहे थे । कोई मेघ की तरह खूब जीर से गरज रहे थे। कोई विद्य ुत की तरह चमक रहे थे । इस प्रकार देवगरण सानन्द अनेक प्रकार के खेल खेल रहे थे । उसी समय अच्युतेन्द्र ने प्रानन्दपूर्वक भगवान का अभिषेक किया । (श्लोक ४३५-४५९) निष्कपट भक्ति सम्पन्न इन्द्र नै मस्तक पर मुकुट की तरह दोनों हाथों से अंजलि कर जोर-जोर से जय-जय शब्द उच्चारण किया । फिर चतुर संवाहक की तरह सुख-स्पर्श हाथों से देवदृष्य वस्त्र द्वारा प्रभु का शरीर पोंछा । नट जिस प्रकार नाटके करता है उसी भांति वे देवताओं को लेकर प्रभु के सामने अभिनय करने लगे । तदुपरान्त प्रारणाच्युत कल्प के इन्द्र ने गशीर्ष चन्दन के रस से प्रभु का विलेपन किया । दिव्य और भूमि से उद्गत पुष्पों से प्रभु की पूजा की। रजत के स्वच्छ श्रौर प्रखण्ड प्रक्षेर्ती से प्रभु के सम्मुख कुम्भ, भद्रासन, दर्पण, श्रीवत्स, स्वस्तिक, नन्दावर्त, वर्धमान और मत्स्य युगल इन आठ मांगलिकों की रचना की । सान्ध्य प्रकाश की कणिका की तरह पंचवर्णीय पुष्पों के सम्भार प्रभु के सम्मुख रखे । वह सम्भार घुटने तक ढक जाएं ऐसा था । धूम्र रेखा से मानो स्वर्ग को तोरणयुक्त कर रहे हों इस भांति
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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