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________________ 36] मनुष्यों में न कोई आपसे बड़ा है न आपके समान है । अतः आपके प्रासन कम्पित होने का कारण विचार कर आप अपने इस दण्डदानकारी सेवक को आदेश दें। (श्लोक २५१-२५३) सेनापति की बात सुनकर इन्द्र ने उसी क्षण अवधिज्ञान से उसी प्रकार यह अवगत किया कि द्वितीय तीर्थङ्कर का जन्म हुमा है जिस प्रकार प्रवचन से धर्म और प्रदीप से अन्धकार में भी वस्तु अवगत की जाती है। वे सोचने लगे-जम्बूद्वीप के भरत वर्ष में विनीता नामक नगरी में जितशत्र नामक राजा की विजया देवी के गर्भ से इस अवसर्पिणी के द्वितीय तीर्थङ्कर उत्पन्न हुए हैं । इसीलिए मेरा आसन कम्पित हुआ है। मुझे धिक्कार है कि मैंने अन्य बात सोची। मैंने ऐश्वर्य मत्त होकर जो दुष्कृत्य किया है वह मिथ्या हो। (श्लोक २५४-२५८) ऐसा विचार कर वे अपना सिंहासन पाद पीठ और पादुका का परित्याग कर खड़े हो गए। फिर तीर्थंकर जिस दिशा की ओर हैं उस दिशा की ओर प्रस्थान कर रहे हैं, इस प्रकार कुछ कदम बढ़े और धरती पर दाहिना गोड़ा रखकर बाएँ गोड़े को कुछ झुका कर हाथ और मस्तक से भूमि स्पर्श कर स्वामी को नमस्कार किया। वे शक्रस्तव से वन्दना कर तट से हटे हुए समुद्र की तरह लौटकर अपने सिंहासन पर बैठ गए। फिर गृहस्थ जिस प्रकार स्वजन को कहते हैं उसी प्रकार तीर्थंकर जन्म की कथा समस्त देवताओं को कहने को और उत्सव में सम्मिलित होने को मानो मूर्तिमान हर्ष हों इस भांति रोमांचित देह से इन्द्र ने नगमेषी सेनापति को आदेश दिया। उन्होंने इन्द्र की प्राज्ञा को इस प्रकार शिरोधार्य कर लिया जिस प्रकार पिपासित व्यक्ति जल को ग्रहण करता है। वहाँ से जाकर उन्होंने सुधर्मा सभा रूप गाय के गले का एक योजन मण्डल युक्त सुघोषा नामक घण्टे को तीन बार बजाया। उस घण्टे के बजने पर मन्थनकालीन समुद्र से उठी ध्वनि के जैसे शब्द से समस्त विश्व के कानो में अतिथि की तरह महानन्द उत्पन्न किया। इससे गाय के रम्भाने पर बछड़ा भी जैसे रम्भाने लगता है उसी प्रकार एक कम बत्तीस लक्ष घण्टे उसी क्षण बज उठे। उन घण्टों के महानाद से समस्त सौधर्म कल्प शब्दातमय हो गया। बत्तीस लक्ष विमानों के नित्य प्रमादी देवता भी उस शब्द को सुनकर गुफा में निद्रित सिंह की
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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