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________________ [21 अहमिन्द्र की तरह वे देव सर्वदा प्रतिकार रहित होकर सुख-शय्या में सोए रहते हैं। शक्ति होने पर भी वे उत्तर वैक्रिय निर्माण कर अन्य किसी स्थान में नहीं जाते। एक अवधिज्ञान के ऐश्वर्य से वे समस्त लोकनालिका का अवलोकन करते हैं। उनकी आयु के सागरोपम की जितनी संख्या होती है उतने पक्षों के पश्चात् वे एक बार श्वास लेते हैं और उतने ही हजार वर्ष बाद उनकी खाने की इच्छा होती है। इस प्रकार उस उत्तम सुखदायी विमान में उत्पन्न होने पर भी वे निर्वाण सुख की तरह उत्तम सुख का अनुभव करते । इस प्रकार रहते-रहते जब उनकी आयु का छह मास शेष रहा उस समय उन्हें अन्य देवताओं की तरह मोह नहीं हुमा । बल्कि पुण्योदय निकट होने से उनके तेज की अभिवृद्धि हो गई । अमृत-सरोवर में हंस की तरह अद्वैत सुख के विस्तार में मग्न देव ने उस तैंतीस सागरोपम की आयुष्य को एक दिन की तरह पूर्ण किया। (श्लोक ३०६-३१२) प्रथम सर्ग समाप्त द्वितीय सर्ग इस जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में मानो पृथ्वी की मुकुट हो ऐसी विनीता नामक एक नगरी थी। वहां त्रिलोकनाथ आदि तीर्थङ्कर श्री ऋषभदेव के मोक्ष गमन के पश्चात् इक्ष्वाकुवंश में अनेक राजा हुए। वे अपने शुभ भाव से सिद्धपद प्राप्त करते हैं या सर्वार्थसिद्ध विमान में जाते हैं। उनके बाद जितशत्र नामक एक राजा हुए । इक्ष्वाकुवंश में प्रसारित छत्र-से वे राजा विश्व के सन्ताप को हरने वाले थे। विस्तृत उज्ज्वल यश में उनके उत्साहादि गुण चन्द्र के द्वारा नक्षत्रों-सी सनाथता प्राप्त किए हुए थे। वे समुद्र-से गम्भीर, चन्द्र की तरह सुखकारी, शरणार्थियों के लिए वज्र निर्मित गह की तरह और लक्ष्मीरूपी लता के मण्डप थे। समस्त मनुष्यों और देवों के मन में निवास करने वाले वे राजा समुद्र में चन्द्रमा की तरह एक होने पर भी अनेक लगते थे। दिक्चक्र को प्राच्छादित करने वाले अपने दुःसह तेज से वे मध्याह्न के सूर्य की तरह समस्त जगत् को तापित करते थे। पृथ्वी पर राज्य करने वाले उन राजा का शासन समस्त राजा, मुकुट की तरह मस्तक पर धारण करते थे। मेघ जिस प्रकार समुद्र से जल ग्रहण कर पृथ्वी को ही लौटा देता है उसी
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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