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________________ [147 हम भी पति की गति को प्राप्त करें। हे केशदाम, तुम इस समय पुष्पमाल्य की मित्रता परिहार करो। हे अक्षि, तुम अब काजल को तिलाञ्जलि दो। हे कपोल, तुम अब पत्रलेखा के सम्बन्ध का परित्याग करो। हे प्रोष्ठ, अब तुम पालता की संगति का त्याग करो। हे कर्ण, अब तुम संगीत सुनने की इच्छा और साथ-ही-साथ रत्न-कणिका का भी त्याग करो। हे कण्ठ, अब कण्ठियाँ पहनने की इच्छा मत रखो। हे स्तन, आज से कमल के लिए जैसे नीहारकरण ही हार होते हैं उसी प्रकार तुम भी अश्रुबिन्दुओं के हारे धारण करो । हे हृदय, तुम तत्काल पके फुट की तरह दी खण्ड हो जानो। हे बाहु, अब तुम बाजूबन्ध और कङ्कण भार से मुक्त हो जानो। हे नितम्ब, प्रातःकाल का चन्द्र जैसे निज कान्ति का परित्याग करता है उसी प्रकार तुम भी कटिमेखला का त्याग कर दो। हे चरण, अनाथों की तरह तुम भी अब अलङ्कार धारण मत करो। हे शरीर, कोंचफली के स्पर्श की तरह अब तुम्हें अङ्गराग की आवश्यकता नहीं है। (श्लोक १०-२२) अन्त:पुरिकाओं के इस प्रकार के करुण क्रन्दन से सारा वन प्रतिध्वनित होकर रोने लगा। (श्लोक २३) सेनापति, सामन्त, राजा, मण्डलेश्वर इत्यादि सभी शोक, लज्जा, क्रोध और शङ्का से रोते हुए विचित्र प्रकार से बोलने लगेहे स्वामीपुत्र, हम नहीं जानते श्राप सब कहां गए हैं ? अतः प्राप हमें बताएं ताकि स्वामी की आज्ञा में तत्पर हम भी आपके पीछे चले जाएँ। क्या आप सभी ने अन्तर्धान विद्या प्राप्त की है ? यदि ऐसा ही है तो उसका प्रयोग करना ठीक नहीं। कारण, यह आपके सेवकों के लिए दु:ख का कारण बना है। आप विनष्ट हो गए हैं; किन्तु आप लोगों के बिना हम ऋषि हत्याकारी-सा अपना मुख राजा सगर को कैसे दिखाएँ ? यदि आप लोगों के बिना हम जाएंगे तो लोग हमारा उपहास करेंगे। हे हृदय, जल भरे कच्चे घड़े की तरह तुम अभी फूट जानो। हे नागकुमार, तुम खड़े रहो, हमारे स्वामी तो अष्टापद की रक्षा में व्यग्र थे । कपट से कुत्ते की तरह उन्हें जलाकर अब तुम कहाँ जाओगे? हे तलवार, हे धनुष, हे शक्ति, हे गदा, तुम सब युद्ध के लिए प्रस्तुत हो जायो। हे नागो, तुम भागकर कहां जानोगे ? स्वामीपुत्र हमें यहाँ छोड़कर चले गए हैं। हा, हा, बिना उनके जाने से स्वामी भी हमें छोड़ देंगे । यदि
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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