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________________ 126] द्वारा चर्मरत्न का स्पर्श किया। साथ ही साथ जहां तक छावनी विस्तृत थी वहां तक वह तिर्यकाकार जल पर प्रवाहित होने लगा। चक्रवर्ती ने सेना सहित उस पर आश्रय लिया। फिर इन्होंने छत्ररत्न का स्पर्श किया इससे वह भी चर्मरत्न की तरह विस्तृत होकर समस्त छावनी पर मेघ की तरह छा गया। तदुपरान्त आलोक के लिए चक्री ने छत्र-रत्न के डण्डे पर मणिरत्न रखा। इस प्रकार रत्नप्रभा पृथ्वी के अन्दर जिस प्रकार असुर और व्यन्तर देव रहते हैं उसी प्रकार चर्मरत्न और छत्ररत्न के मध्य चक्रवर्ती समस्त सेना सहित सुखपूर्वक रहने लगे । गृहाधिपरत्न दाल-चावल, साग-सब्जी, फल इत्यादि सुबह बोकर शाम को ही उत्पन्न करने लगा। कारण, उस रत्न का माहात्म्य ही ऐसा है। मेघकुमार देव भी प्रखण्ड धारा से उसी प्रकार वर्षा करते रहे जैसे दुष्ट की दुष्ट वाणी बरसती है। (श्लोक २२०-२२९) ___ एक दिन सगर चक्रवर्ती कुपित होकर सोचने लगे-कौन है वह जो हमें इस प्रकार कष्ट दे रहा है ? उनके निकट रहने वाले सोलह हजार देवों ने यह बात सुनी। वे कवच पहन, अस्त्र-शस्त्र धारण कर मेघकुमार देवों के पास गए और बोले-प्रो अल्पबुद्धि नीचो, क्या तुम लोग नहीं जानते कि चक्रवर्ती देवताओं के लिए भी अजेय हैं ? यदि अब भी तुम अपना मंगल चाहते हो तो यहां से चले जायो । अन्यथा वे तुम्हें कदली वृक्ष की तरह नष्ट-विनष्ट कर डालेंगे। (श्लोक २३०-२३३) यह सुनकर मेघकुमार देव वृष्टि बन्द कर जल में मछली की तरह छिप गए और आपात जातीय किरातों के पास जाकर बोलेहम चक्रवर्ती को नहीं जीत सकते। यह सुनकर किरात स्त्रियों के वस्त्र धारण कर एवं भयभीत बने रत्नों के उपहार लेकर सगर राजा की शरण में गए । वहां उनकी अधीनता स्वीकार कर उनके चरणों में गिरे एवं हाथ जोड़कर कहने लगे-हम अज्ञानी और दुर्मद हैं इसीलिए अष्टापद पशु जिस प्रकार मेघ की ओर कूदता है उसी प्रकार हमने आपको कष्ट देना चाहा था । हे प्रभु ! आप हम लोगों के इस अविवेक कार्य के लिए क्षमा करें। आज से हम आप की प्राज्ञा का पालन करेंगे। आपके सामन्त और सेवक बनकर रहेंगे । हमारी स्थिति अब आपके हाथ में हैं। (श्लोक २३४-२४०)
SR No.090514
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size16 MB
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