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________________ ९०] के नेत्र क्रोध से लाल हो गए। भकुटि चढ़ जाने के कारण उनका मुख विकटाकार हो गया और आन्तरिक क्रोध की ज्वाला की भांति पोष्ठ स्पन्दित होने लगे। आसन को स्थिर करने के लिए उन्होंने एक पांव उठाया और बोले-'अाज किसने यमराज को आमन्त्रित किया है ?' फिर वीरतापूर्वक अग्नि प्रज्वलित करने के लिए वायूतुल्य वज्र को पकड़ने की इच्छा की। (श्लोक ३१८-३२२) इस प्रकार सिंह के समान क्रुद्ध इन्द्र को देखकर जैसे मान ही मूत्तिमान देह धारण कर पाए हों इस प्रकार उसके सेनापति विनयपूर्वक बोले-'भगवन्, जब आपके हम लोगों जैसे अनुचर हैं तब आप स्वयं कोप क्यों कर रहे हैं ? हे जगत्पति, आप हमें अादेश दीजिए, हम आपके शत्रुओं को विनष्ट करें।' (श्लोक ३२३-३२४) तब इन्द्र ने अपने मन को शान्त कर अवधिज्ञान के प्रयोग से प्रथम तीर्थंकर का जन्म हुपा है अवगत किया। प्रानन्द के आवेश में मुहर्त्तमात्र में उनका क्रोध विगलित हो गया। वर्षा के जल से दावानल निर्वापित होने पर पर्वत जिस प्रकार शान्त हो जाता है वे भी उसी प्रकार शान्त हो गए। 'धिक्कार है मुझे जो मैंने ऐसा सोचा। मेरे दुष्कृत मिथ्या हो जाए।' ऐसा कहकर वे इन्द्रासन त्याग सात-पाठ कदम आगे बढ़े, फिर श्रद्धाञ्जलि मस्तक पर लगा कर मानो दूसरा रत्न-मुकुट ही उन्होंने धारण कर लिया हो, जमीन पर मस्तक रखकर भगवान् को नमस्कार कर रोमांचित होकर इस प्रकार स्तुति करने लगे 'हे तीर्थनाथ, हे जगत्त्राता, हे कृपारस सिन्धू, हे नाभि-नन्दन, आपको नमस्कार । हे नाथ, नन्दन आदि उद्यानों से जैसे मेरुपर्वत सुशोभित होता है उसी प्रकार आप भी मति, श्रुत और अवधिज्ञान से शोभायमान हैं क्योंकि ये तीनों आपको गर्भ से ही प्राप्त हैं । हे देव, आज यह भरत क्षेत्र स्वर्ग से भी अधिक अलंकृत हो गया है । हे जगन्नाथ, आपका जन्मकल्याणक महोत्सव धन्य है । आज का दिन जब तक मैं संसार में हूं तब तक आपकी ही भांति वन्दनीय है। अाज अापके जन्म पर्व में उन नारक जीवों को भी सुख प्राप्त हुना है। अर्हतों का जन्म किसके सन्ताप को दूर नहीं करता ? इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में प्रोथित सम्पत्ति की भांति धर्म नष्ट हो गया है । उसे आप अपने प्रभाव से बीज रूप में पुन: अंकुरित करें।
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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