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इससे अापका पुत्र पुरुषोत्तम और त्रैलोक्य की साम्राज्य लक्ष्मी का अधिपति होगा । आपने पुष्पमाला देखी इससे आपका पुत्र पुष्पदी होगा एवं समस्त लोक उसकी आज्ञा को माला की भांति धारण करेगा। हे जगत् जननी, आपने स्वप्न में चन्द देखा इससे आपका पुत्र मनोहर और नेत्रों को ग्रानन्द देने वाला होगा। आपने सूर्य देखा-इससे वह मोह रूप अन्धकार को चीर कर विश्व को पालोकित करेगा। महाध्वज देखने के कारण आपका पुत्र स्ववंश में प्रतिष्ठा-सम्पन्न और धर्म-ध्वज होगा । हे देवि, स्वप्न में पूर्ण कुभ देखने के कारण आपका पुत्र समस्त अतिशयों का पूर्ण पात्र अर्थात् अतिशय सम्पन्न होगा। स्वामिनि, आपने जो पद्म-सरोवर देखा इससे अापका पुत्र संसार अरण्य में पथभ्रष्ट लोगों के सन्ताप को दूर करेगा। आपने समुद देखा-इससे अजेय होने पर भी सब इसके निकट पाएगे। स्वप्न में संसार में अलभ्य देव विमान देखा इससे आपके पुत्र की वैमानिक देव भी सेवा करेंगे। कान्तिमय रत्नपुञ्ज देखने के कारण आपका पुत्र समस्त गुणरूपी रत्नों की खान होगा
और आपने प्रदीप्त अग्नि देखी इससे वह तेजस्वियों के तेज को हरण करने वाला होगा । हे देवि, आपने जो चौदह स्वप्न देखे इससे यही सूचित होता है कि आपका पुत्र चौदह राज्यलोक का स्वामी होगा।
__ (श्लोक २३०-२४८) इस प्रकार समस्त इन्दों ने स्वप्न का वर्णन । किया तदुपरान्त माता मरुदेवी को प्रणाम कर अपने-अपने स्थान को लौट गए। माता मरुदेवी स्वप्न की फल व्याख्या द्वारा सिंचित होकर उसी प्रकार प्रफ हिलत हो गयीं जिस प्रकार वर्षा के जल से सिंचित होकर धरती प्रफुल्लित हो जाती है ।
(श्लोक २४९-२५०) जैसे सूर्य के द्वारा मेघमाला शोभित होती है, मुक्ता के द्वारा सीप, सिंह के द्वारा पर्वतगुफाएँ, उसी प्रकार महादेवी मरुदेवी उस गर्भ को धारण कर सुशोभित होने लगीं। प्रियंगु की भांति श्यामवर्ण होने पर भी वे गर्भ के प्रभाव से कंचनवर्णा लगने लगी जैसे शरद् ऋतु में मेघमालाएं कंचनवर्ण हो जाती हैं । जगत्पति उनका पयपान करेंगे इस आनन्द में उनके पयोधर उन्नत और पुष्ट हो गए। उनके नेत्र विशिष्ट प्रकार से विकसित हो गए मानो भगवान् का मुख देखने के लिए उत्कण्ठित हो रहे हैं। उनके नितम्ब पहले से