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[३२७ गए। उस समय हर्षित देवताओं के साथ स्वर्गपति इन्द्र ने उनका मोक्ष गमनोत्सव किया।
(श्लोक ७५१-७५५) __ इस प्रथम पर्व में श्री ऋषभदेव प्रभु का पूर्वभव वर्णन, कुलकरों की उत्पत्ति, प्रभु का जन्म, विवाह, व्यवहार-दर्शन, राज्य, व्रत और केवल-ज्ञान, भरत राजा का चक्रवर्तीत्व, प्रभु एवं चक्री का मोक्षगमन आदि का जो क्रमशः वर्णन किया गया है वह तुम लोगों के समस्त पर्वो को विस्तारित करे अर्थात् तुम लोगों के लिए कल्याणकारी बने।
(श्लोक ७५६) (षष्ठ सर्ग समाप्त)