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का होगा । मल्लिनाथ और सुव्रतनाथ के निर्वाणकाल का व्यवधान चौपन लाख वर्ष होगा ।
२१ मिथिला नगरी के विजय राजा और वप्रादेवी रानी के नमि नामक पुत्र इक्कीसवें तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण सुवर्ण-सा, आयु दस हजार वर्ष, काया पन्द्रह धनुष और व्रत पर्याय ढाई हजार वर्ष होगा। मुनि सुव्रत स्वामी और नमिनाथ के निर्वारणकाल का व्यवधान छह लाख वर्ष का होगा ।
२२ शौर्यपुर के समुद्र विजय राजा और शिवादेवी रानी के पुत्र नेमि बाइसवें तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण श्याम, आयु एक हजार वर्ष, शरीर दस धनुष और दीक्षा पर्याय सात सौ वर्ष होगा । नमिनाथ और नेमिनाथ के निर्वाणकाल का व्यवधान पाँच लाख वर्ष होगा ।
२३ वाराणसी नगरी के ग्रश्वसेन राजा और वामादेवी रानी के पार्श्वनाथ नामक पुत्र तेइसवें तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण नील, आयु एक सौ वर्ष, शरीर नो हाथ, दीक्षा पर्याय सत्तर वर्ष का होगा । नेमिनाथ और पार्श्वनाथ के निर्वाणकाल का व्यवधान तिरासी हजार साढ़े सात सौ वर्ष होगा ।
२४ क्षत्रिय कुण्डग्राम में सिद्धार्थ राजा और त्रिशला रानी के पुत्र वर्द्धमान चौबीसवें तीर्थंकर होंगे। उनका वर्ण सुवर्ण-सा श्रायु बहत्तर वर्ष, शरीर सात हाथ और दीक्षा पर्याय बयालीस वर्ष होगा । पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी के निर्वाणकाल का व्यवधान प्रढाई सौ वर्ष होगा ।
( श्लोक २७६-३२५)
चक्रवर्ती सभी काश्यप गोत्र के होंगे । उनका वर्ण सुवर्ण-सा होगा । उनमें पाठ मोक्ष जाएँगे, दो स्वर्ग जाएँगे, दो नरक जाएँगे । १ तुम प्रथम चक्रवर्ती मेरे समय में हुए हो ।
२ अयोध्या नगर में अजितनाथ तीर्थंकर के समय सगर नामक द्वितीय चक्रवर्ती होंगे । ये सुमित्र राजा और यशोमती रानी के पुत्र होंगे । उनका शरीर साढ़े चार सौ धनुष और प्रायु बहत्तर लाख पूर्व की होगी ।
३ श्रावस्ती नगर में समुद्र विजय राजा और भद्रा रानी के मधवा नामक पुत्र तृतीय चक्रवर्ती होंगे। उनका शरीर साढ़े चालीस