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चारसौ धनुष ऊँचा और दीक्षा पर्याय चार पूर्वांग (तीन सौ छत्तीस वर्ष) कम एक लाख पूर्व होगा । अजितनाथ और उनके निर्वाण के मध्य तीस लाख करोड़ सागरोपम का व्यवधान रहेगा ।
४ ' विनीतापुरी (अयोध्या) में संवर राजा और सिद्धार्थ रानी के पुत्र अभिनन्दन चतुर्थ तीर्थंकर होंगे । उनकी आयु पचास लाख पूर्व, देह स्वर्ण वर्ण एवं साढ़े तीन सौ धनुष ऊँचे और दीक्षा पर्याय आठ पूर्वाङ्ग (६ करोड़ १२ लाख वर्ष) कम एक लाख पूर्व होगा । सम्भवनाथ और अभिनन्दननाथ के निर्वारण के मध्य दस लाख कोटि सागरोपम का व्यवधान होगा ।
५ अयोध्या में मेघ राजा और मंगला रानी के पुत्र सुमति पंचम तीर्थंकर होंगे । उनकी कान्ति सुवर्ण-सी, ग्रायुष्य चालीस लाख पूर्व, शरीर तीन सौ धनुष दीर्घ, दीक्षा पर्याय द्वादश पूर्वाङ्ग ( दस कोटि आठ लाख वर्ष) कम एक लाख पूर्व होगा । अभिनन्दननाथ और सुमतिनाथ के निर्वाणकाल के मध्य नौ लाख कोटि सागरोपम का व्यवधान होगा ।
६ कौशाम्बी के राजा धर और सुसीमादेवी के पुत्र पद्मप्रभ नामक छठे तीर्थंकर होंगे। उनकी कान्ति लाल, आयु तीस लाख पूर्व की, शरीर ढाई सौ धनुष और दीक्षा पर्याय सोलह पूर्वाङ्ग ( तेरह कोटि चवालिस लाख वर्ष) कम एक लाख पूर्व होगा । सुमतिनाथ और पद्मप्रभ के निर्वाणकाल का व्यवधान नब्बे हजार कोटि सागरोपम होगा ।
७ वाराणसी के प्रतिष्ठ राजा और पृथ्वी रानी के पुत्र सुपार्श्व नामक सप्तम तीर्थंकर होंगे । उनकी कान्ति स्वर्ण-सी, प्रायु बीस लाख पूर्व, शरीर दो सौ धनुष और दीक्षा पर्याय बीस पूर्वाङ्ग ( सोलह करोड़ अस्सी लाख वर्ष) कम एक लाख पूर्व होगा । पद्मप्रभ और सुपार्श्वनाथ के निर्वारणकाल का व्यवधान नौ हजार करोड सागरोपम होगा ।
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चन्द्रानन नगर में महासेन राजा और लक्ष्मणादेवी के पुत्र चन्द्र प्रभ नामक अष्टम तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण श्वेत, आयु दस लाख पूर्व, शरीर डेढ़ सौ धनुष और दीक्षा पर्याय चौबीस पूर्वाङ्ग (दोकरोड़ सोलह लाख वर्ष ) कम एक लाख पूर्व होगा। सुपार्श्वनाथ