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________________ [२३९ -'हां, बाहुबली के बड़े भाई अयोध्या में राज्य करते है।' -'दूत को उन्होंने यहां क्यों भेजा हैं ?' –'अपने भाई बाहबली को बुलाने के लिए।' -'इतने दिन हमारे राजा के भाई कहां थे ?' -'भरत क्षेत्र के छह खण्डों को जय करने गए थे।' -'अब उन्हें भाई को बुलाने की इच्छा क्यों हुई ?' -'अन्य सामान्य राजाओं की तरह उनसे भी सेवा करवाना चाहते हैं।' -'सब राजानों को जय कर अब वे लौह के कांटों (शूल) पर क्यों चढ़ना चाहते हैं ?' -'इसका कारण है अखण्ड चक्रवर्तीत्व का अभिमान ।' -'छोटे भाई से पराजित होकर वे राजा अन्य को अपना मुह कैसे दिखाएंगे?' —'सर्वत्र विजित व्यक्ति भविष्य में पराजय की बात नहीं सोचता।' -'राजा भरत के मन्त्रियों में तब क्या चूहे जैसी बुद्धि भी किसी में नहीं है ?' -'उनके कुलक्रम से आए हुए अनेक बुद्धिमान मन्त्री है।' —'तब मन्त्रियों ने भरत को सर्प का सिर खुजलाने से क्यों मना नहीं किया ?' -'निवारण करना तो दूर वे उन्हें और उत्साहित कर रहे हैं । भवितव्यता ही ऐसी है।' (श्लोक १६५-१७३) नगरवासियों की ये सब बातें सुनते-सुनते सुवेग नगर से बाहर निकला । नगरद्वार के निकट मानो देवताओं द्वारा प्रसारित किया जा रहा हो ऐसी ऋषभदेव के पुत्र की युद्धवार्ता इतिहास की तरह सुनी। क्रोध भरा सुवेग जैसे-जैसे अग्रसर होता गया वैसे-वैसे मानो इसकी स्पर्धा कर युद्धवार्ता भी आगे की ओर विस्तृत होती गई । केवल वार्ता सुनकर ही राजाज्ञा की तरह प्रत्येक ग्राम, प्रत्येक नगर के योद्धागण युद्ध के लिए प्रस्तुत होने लगे। योगी जैसे शरीर को मजबूत बनाता है उसी प्रकार कोई युद्ध का रथ बाहर कर नवीन धुरी आदि लगाकर उसे मजबूत बनाने लगा। कोई अपने घोड़े को अश्वशाला से बाहर निकालकर अश्वशिक्षा के लिए बने
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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