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________________ १६०] पा रहे थे। उसके प्रत्येक दांत पर मधुर और स्वच्छ जल की एकएक पुष्करिणी थी। वे वर्षधर पर्वत के सरोवर से शोभित थे । प्रत्येक पुष्करिणी में आठ-पाठ कमल थे। उन्हें देखकर लगता जैसे जल देवियां जल से मुह निकाल रही हों। प्रत्येक कमल में आठआठ पंखुडीदल थे। वे सब क्रीड़ारत देवांगनाओं के विश्राम करने के लिए निर्मित द्वीप से लगते थे। पंखुड़ियों पर चार प्रकार के अभिनय युक्त पृथक्-पृथक् आठ नाटक अभिनीत हो रहे थे। प्रत्येक नाटक में कलनादी झरने से बत्तीस पात्र थे। (श्लोक ४०९-४१७) इस प्रकार उत्तम गजेन्द्र पर इन्द्र सपरिवार सामने वाले प्रासन पर बैठ गए। हस्ती के कुम्भस्थल से उनके नासिका तक ढक गई। हस्ती इन्द्र को सपरिवार लिए वहां से रवाना हुए। ऐसा लगा मानो समग्र सौधर्म देवलोक जैसे उड़ा चला जा रहा था। क्रमशः निज शरीर को छोटा करता हुआ पालक विमान की तरह वह हस्ती क्षण मात्र में उस उद्यान में जा उपस्थित हुआ जिसे भगवान ने पवित्र किया था। अन्यान्य अच्यूतादि इन्द्र भी 'मैं पहले पहुँच' इस तरह सोचते-सोचते देवताओं सहित अतिशीघ्र वहां आ पहुँचे । __ श्लोक ४१८-४२१) उसी समय वायुकुमार देवताओं ने आभिजात्य परित्याग कर समवसरण के लिए एक योजन पृथ्वी परिष्कृत की। मेषकुमार देवताओं ने जमीन पर सुगन्धित जल की वर्षा की। ऐसा लगा मानो प्रभु के आगमन की बात सुनकर पृथ्वी सुगन्धित अश्रुजल से धूप और अर्घ्य उत्क्षिप्त कर रही है। व्यन्तर देवताओं ने भक्ति सहित अपनी प्रात्मा के अनुरूप उच्च किरण युक्त सुवर्ण माणिक्य और रत्नों की पीठिका निर्मित की। उस पर ऐसे पंचरगी सुगन्धयुक्त पुष्प बिछा दिए जिनके डण्ठल नीचे की ओर थे। उन्हें देखकर लगता ये जमीन में ही उगे हैं। चारों ओर सुवर्ण, रत्न एव मारिणक्य के तोरण बनाए। ये उनके कण्ठहार से लगते थे। वहां स्थापित रत्नादि निर्मित पुत्तलिकाओं से निर्गत प्रतिबिम्ब अन्य पुत्तलिकाओं पर इस तरह पड़ रहा था लगा मानो सखियां एक दूसरे का परस्पर आलिंगन कर रही हैं। स्निग्ध नीलमणि रचित मकर का चित्र विनष्ट कामदेव के लक्षण मकर का भ्रम उत्पन्न कर रहा था। वहां श्वेत छत्र इस तरह शोभा पा रहा था मानो भगवान के केवल ज्ञान
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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