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________________ [१३१ को नृत्य-शिक्षा देने में प्रवृत्त हो गया। मृगलोचनाएं अपने-अपने कामुक पतियों की तरह कुरुबक, अशोक और बकुलवृक्ष को आलिंगन करने लगीं, उन्हें पदाघात कर अपने - अपने मुख का मदपान करवाया। तिलक वृक्ष ने अपनी प्रबल सुगन्धों से भ्रमरों को तुष्ट कर युवकों के ललाट की भांति वन को सुशोभित किया । पीत पुष्पा लवली लता अपने पुष्पगुच्छों के भार से इस प्रकार झुकी हुई थी जिस प्रकार कृशांगी अपने परिपुष्ट स्तनों के भार से झुकी रहती है। चतुर कामो पुरुष जिस प्रकार मन्द-मन्द आलिंगन करता है उसी प्रकार मलय पवन पाम्रलताओं को धीरे-धीरे आलिंगन करने लगा। वेत्रधारी पुरुषों की तरह कामदेव जम्बू, कदम्ब, आम्र और चम्पक वृक्ष रूपी वेत्रों से पथिकों को आहत करने लगा। नवीन पाटल पुष्प के सम्पर्क से सुगन्धित मलय-पवन सबको आनन्दित करने लगा। मकरन्दपूर्ण महुआवृक्ष भ्रमरों के गुञ्जन से इस प्रकार गुजित हो रहे थे जैसे मधुपात्र भ्रमर गुञ्जन से गुजरित होते हैं। गोलक और धनुष अभ्यास के लिए कामदेव ने मानो कदम्ब पुष्प के गोलक तैयार किए । परोपकार ही (सरोवर खनन, जलगृह निर्माण प्रादि) जिसका इष्ट है इस प्रकार पवन ने वासन्ती लता के भ्रमर रूपी पान्थों के लिए मकरन्द गृह निर्माण कर रखा था । जिन पुष्पों का आमोदी प्रभाव बहुत कष्ट से निवारित किया जाता है ऐसे सिन्धुवार वृक्षों ने पान्थों की नासिकायों में सुगन्ध वहन कर उन्हें मुग्ध बना दिया। बसन्त रूपी उद्यान पालक के द्वारा नियुक्त होकर चम्पक वृक्ष अवस्थित भ्रमर नि:शंक होकर विचर रहे थे। यौवन जिस प्रकार स्त्री-पुरुष को सुशोभित करता है उसी प्रकार वसन्त ऋतु भी अच्छी-बुरी सभी प्रकार की लतानों और वृक्षों को सुशोभित कर रही थी। मृगाक्षियां पुष्पचयन कर रही थीं मानो वे महापर्व में वसन्त को अर्घ देने की तैयारी कर रही हों। पुष्प चयन के समय उनके मन में यह भी आया होगा कि उनके रहते कामदेव को अन्य पुष्प धनुष की क्या आवश्यकता है ? वासन्ती लता के पुष्पचयन किए जा रहे थे उन पर भ्रमर इस प्रकार गुञ्जन कर रहे थे मानो पुष्पों के वियोग में वे सब गुञ्जन के बहाने क्रन्दन कर रहे हैं। कोई सुन्दरी मल्लिका पुष्पचयन करने जा रही थी, उसके उत्तरीय प्रान्त के अटक जाने के कारण वह वहीं खड़ी रही, इससे लगता है जैसे मल्लिका उसका उत्तरीय प्रान्त पकड़कर उसे दूर नहीं जाने देती।
SR No.090513
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanesh Lalwani, Rajkumari Bengani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1989
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size24 MB
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