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त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् श्री आदिनाथ चरित
प्रथम पर्व
प्रथम सर्ग १ जो सबके पूज्य हैं, मोक्ष रूपी लक्ष्मी के लिए निवास रूप हैं, जो
स्वर्ग, मृत्यू और पाताल लोक के ईश्वर हैं उन्हीं अरिहंत देव का मैं ध्यान धरता हूँ।
__(श्लोक १) २ जो सब क्षेत्रों में सब कालों (भूत, भविष्य, वर्तमान) में नाम,
स्थापना, द्रव्य और भाव निक्षेप से तीनों लोकों को पवित्र करते
हैं उन्हीं अरिहंत देव की मैं उपासना करता हूँ। (श्लोक २) ३ जो पृथ्वीपतियों के मध्य प्रथम हैं, जो त्यागवतियों में भी प्रथम
हैं और प्रथम तीर्थंकर हैं उन ऋषभदेव भगवान की मैं स्तुति करता हूं।
___ (श्लोक ३) ४ विश्वरूप कमल सरोवर में जो मार्तण्ड रूप हैं, जिनके निर्मल,
केवल ज्ञान रूपी दर्पण में त्रिलोक प्रतिबिम्बित होता है उन
ग्रहंत अजितनाथ की मैं स्तुति करता हूँ। (श्लोक ४) ५ भव्यजीव रूपी उद्यान को सिंचित करने के लिए जगत्पति श्री
सम्भवनाथ के मुख से निःसृत जलधारा रूपी जो वाणी है वह वाणी सर्वदा यशस्वी हो।
(श्लोक ५) ६ अनेकान्त रूपी समुद्र को उल्लसित करने में चन्द्र तुल्य हैं वे
भगवान अभिनन्दन स्वामी आनन्ददायी बनें। (श्लोक ६) ७ देवगणों के मुकुट की मणियों की प्रभा में प्रदीप्त जिनके चरण-नख हैं, वे भगवान सुमतिनाथ तुम्हारी इच्छा पूर्ण करें।
___ (श्लोक ७) ८ कामक्रोधादि रूपी अन्तरंग वैरियों के मन्थन हेतु कोप-प्रबलता