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________________ त्रिलोकसार पाषा:२६-१७ कुलगिरिवाखारणदीदहवणकुंडाणि पुखरदलोपि । ओपेधुस्सेहसमा दुगुणा दुगुणा दु विस्थिण्णा ।। ९२६ ।। कुलगिरिवक्षारनदीदव नकुण्डानि पुष्करवल इति। अवगाघोत्सेघसमा विगुणा द्विगुणाः तु विस्तीर्णाः ।। ९२६॥ कुल । घातको खगरादारभ्य पुष्करागात्र समायाः पकिरी बहार : १५० हराः५२ पमानि ३ कुराहानि १८० । एते सर्वे जम्बूद्वीपासकुलगिरिप्रभृतीनामवगापोत्सेवाम्या समानाः एतेषां विस्तारास्तु जम्बूद्वीपस्यविस्तारे म्यो विगुणद्विगुणाः ॥ ९२६ ॥ मागे दोनों द्वीपों में अवस्थित कुलाचल आदि का स्वरूप कहते हैं: गापाय:-धासकी खण्ड से पुष्कराध पर्यन्त अवस्थित कुलाचन वक्षार गिरि, नदी, दह, वन और कुण्डों की गहराई एवं ऊँचाई जम्बूद्वीपस्य कुलाचलादि के सदृश है तथा विस्तार दुगुना दुगुना है। अर्थात् जम्बूद्वीपस्थ कुलाचनाविक के व्यास ने घालको खण्ड स्थित कुलाचलादिकों का व्यास दुगुना है और घातकी खण्ड की अपेक्षा पुष्कराघं का विस्तार दुगुना है ।। ६२ ।। विशेषार्ष:-धातकी बण्ड से शरम्भ कर पुष्कराध पर्यन्त एक एक दीप में दो दो मेन सम्बाधी कुलाचल १२, पजदन्तों सहित वक्षार पर्वत ४०, गङ्गा सिन्धु और विमङ्गा आदि तथा कश्छादि विदेह सम्बन्धी दो दो नदियों और सब मिलाकर कुल नदिय! १८.कुलाचलों और मद्रशाल वनों में सियत दह ५२, पवंतों और नदियों के पावभागों में स्थित वन संख्यात तथा गङ्गादि नदियों के गिरने के और विभङ्गादि नदियों के निकलने के कुल कुम्ड १८० हैं । इन सबकी गहराई और ऊँचाई तो जम्बूद्वीपस्य कुलापलादिकों के सदृश है, किन्तु जम्बूद्वीपस्थ कुलाबलाविकों के विस्तार से घातको खण्डस्थ कुलाचलादिकों का विस्तार दूना हे तपा घातको खण्ड की अपेक्षा पुष्कराध द्वीपस्थ इलाचलादिकों का विस्तार दूना है। मथ पर्षद्वीपस्थितय वर्षधरपर्वतानामाकार निरूपति सयलुद्धिणिमा वस्सा दिवड्डदीवम्हि तत्थ सेलायो। अंते अंकमुहामो खुरप्पसंठाणया पाहि ॥ ९२७ ॥ शकटोद्धिनिभा वर्षा घर्षद्वीपे तत्र शैलाः। अन्तः अङ्कमुखाः भुरप्रसंस्थानका बहिः ।। १७॥ सयलु | धंती वर्षाः बाटोधिकामिभाः तत्र शैला पम्यन्तरे प्रमुखा पाय हरमसंस्पानाः ॥२७॥ भब सेव द्वीप में स्थित क्षेत्र और कुलाचकों का प्राकार कहते हैं
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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