SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 733
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाथा : ०१ पतियंग्लोकाधिकार ६॥ सूर्य और समुद्र जल का ऊध्य मन्तर :- असा मोम बगुटक न मास्तर २४ में से ( ८८०-८०० ) योजन घटा देने पर (२४ -.)- योजन सूर्य का समुद्र जल से ऊऽवं अन्तर का प्रमाण है। अब प्रसङ्ग प्रा लबण समुद्र सम्बन्धी सूर्यों के समीप जल की ऊंचाई को साधते है :-लवण समुद्र में चार सूर्य है, जो एक एक परिधि में दो दो है । एक सूर्य के विमान का व्यास योजन है, बात: दो सूर्य विमानों के व्यास का प्रमाण ( ३)- योजन हुमा। लवण समुद्र का ध्यास २००... योजन है इसे " से समच्छेव करने पर ( २०००.०४%)- २३११००० योजन हुए। इसमें से ११ योजन घटाने पर ( २५६१%2२० -11) 48. योजन प्राप्त हुए। यह सम्पूर्ण ( दोनों) अन्सालों का प्रमाण है। जबकि दो अन्तरामों का प्रमाण १२११०४ योषन तब अन्तराल का क्या प्रमाण होगा ? इस प्रकार राशिक करने पर ( २ } = १९५१ योजन हए। इनमें अपने ही भागहार का भाग देने पर ९९९९९३ योजन लवण समुद्रस्य एक सूर्य से दूसरे सूर्य के बीच का अन्तराल का प्रमाण है । अर्थात् दोनों परिधिवर्ती दो सूर्गों के बीच का अन्तराल है इसी को आषा करने पर (१९९२ )= L यो० लवण समुद्र सम्बन्धी सूर्य और वेदिकाओं का अन्तर है। अर्थात जम्बूद्वीप को वेदी से xHELP योजन दूर प्रषम परिधि का प्रथम सूर्य है और लवण समुद्र की वेधी से अभ्यन्तर की ओर YEER योजन पर दूमी परिधि का दूसरा सूर्य है । इस प्रकार जम्बूद्वोप की वेदी से NEELERY योजन दूर प्रथम सूर्य, योजन सूर्य बिम्ब, ९९९९९३ योजन सूर्य से सूर्य का अन्तर योजन सूर्य बिम्ब और RREE योजन हितोय सूर्य से लवण समुद्र की वेदी का अन्तर है, और इन सभी का योग करने पर २००.०० योजन लवण समुद्र का व्यास प्राप्त हो जाता है। सूर्य और वेविका के ४RIES योजन अग्गाल को 2 से समच्छेव करने पर ( x ) = 3 3 प्राप्त हुए। इनमें अवशेष अंश ३१ जोड़ देने से ( ३०४१३१+11)- 30 " योजन हुए। जबकि समुद्र तट से योजन आगे जाने पर योजन ऊंचा जल प्राप्त होता है, तब Bor" योजन दूर जाने पर जल की कितनी ऊँचाई प्राप्त होगी? इस प्रकार राशिक कर (1x1080) भागहार को भागहार से और अंश को मंश से गुणा करने पर "TR" योजन हुए। इनको अपने ही भागहार मे भाषित करने पर ८४२.18 योजन लवणसमुद्र सम्बन्धी सूर्यों के समीप जल की ऊंचाई का प्रमाण है। वेदी से HERE योजन दूर सूर्य को वीथी है, वहां सूर्य सो भूमित से ८.. मोअन कपम है और जल ८४२० योजन ऊपर है. अता यहाँ सूर्यादिकों का सवार जल के भीतर हो होता है । यथा : [ रुपया चित्र अगले पृष्ठ पर देखिए ] ८19
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy