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________________ गापा : ८४४-८४५-१६ नरतिर्यग्लोकाधिकार एक शुन्य और इसके भी आगे एक चक्री और दो शन्य द्वितोम पंक्ति में स्थापन करना चाहिए। इसके आगे तीसरी पंक्ति में दश शून्य पांच नारायण उसके आगे छह शूग्य एक नारायण उसके आगे एक शन्य एक नारायण, उसके बागे तीन शून्य एक नारायण उसके आगे दो शन्य एक नारायण और उसके आगे सीन शून्य स्थापन करना चाहिए । इसके बाद चौथी पंक्ति में दो रुद्र छह शन्य उसके आगे सात रुद्र, दो शन्य उसके भागे एक रुद्र और पन्द्रह शम्य तथा इसके पागे महावीर जिनेन्द्र के काल में होने वाले ग्यारहवें सत्यकितनय रुद्र की स्थापना करना चाहिए ॥ ८४४,८४५,४६ ॥ विशेषा:-वरुदेव धीर प्रतिनारायण की दो पंक्तियों सहित विशेषार्थ का चार्ट निम्न प्रकार है : [कृपया चा अपले पृष्ठ पय देखिए ।
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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