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बाबा:४-८४१
नातियंशोकाधिकार
अब उनको आयु बताते हैं :
गापार्ष:-उन रुद्रों की आयु क्रमशः ८ लाख पूर्व, ७१ लाख पूर्व, २ लाव पूर्व, एक लाख पूर्व, २४ लाख वर्ष, ६० लाख वर्ष, ५० लाख वर्ष, ४० लाख वर्ष, २० लाख वर्ष, एक लाख वर्ष और ६६ वर्ष प्रमाण घी ।। ८३९॥ इतस्तैरापनगतिविशेषमाइ
पढमदु माधषिमण्णे पण मघवि भट्ठमो दु रिमहि । दो अंजणं पवण्णा मेघ सच्चाता जादो || ८४.।। . प्रथमद्री माधवीमन्ये पञ्च मघवीपष्टमस्तु अरिष्टमहीं।
दो बचना प्रपत्रो मेघां सत्यकितनुजतिः ॥ १४ ॥ पवम । तेषु यमद्वितीयो माघी ७ मापतुः, ततोऽन्ये पश्च मघयो ६ मापुः, प्रष्टमसबरिष्ट ५ महीमाप, ततः परं धावखना ४ प्रपन्नो, सत्यकितनूजातो मेघा ३ गतः ।।८४०।।
अब उन रुद्रों द्वारा प्रIH को पई गति के सम्बन्ध में कहते हैं
पापा:-प्रथम और द्वितीय रुद्र माधवी ( सातवीं ) पृथ्वी को प्राप्त हुए हैं। अन्य पाँच रुद्र मघवी (छठी ) को; अष्टम रुद्र अरिष्ट ( पांचवीं ) पृथ्वी को; नव और दसवा रुद्र अजना ( चौथी) पृथ्वी को तथा अन्तिम कद्र सत्यकितनु मेघा (तीसरी ) पृथ्वी को प्राप्त हुए हैं ।। ८४०॥ अब तेषां विश्वेषस्वरूपमाह
निजाणुवादपढणे दिडफला गट्ठसंजमा भब्वा । कदिचि मवे सिजति गहिदुझियसम्ममहिमादो ॥८४१|| विद्यानुवादपठने दृष्टफला नष्टसंयमा भव्याः ।
कतिषिद्भवेषु सिध्यन्ति हि गृहोतोज्झितसम्यमहिम्नः ॥४॥ विना। विद्यानुवावपठने रष्टफला नन्दसंयमा म्यास्ते गृहोतोज्झितसम्यक्त्वमाहाल्याव कतिविभवेषु सिष्यन्ति ।। ५४१ ।।
अब उनका विशेष स्वरूप कहते हैं
गापार्थ:-वे रुद्र विद्यानुवाद नामक पूर्व को पड़ते हुए वह लोक सम्बन्धी फल के मोक्ता, महण किए हुए संयम को नष्ट करने वाले, भव्य और ग्रहण किए हुए सम्यक्त्व को छोड़ देने के माहात्म्य से अनेक पर्यायों को धारण करने के बाद सिद्ध पद प्रात करेंगे ।। ८४१ ।।
विशेषार्थ:-वे सभो रुद्र विद्यानुवाद नाम दशम पूर्व के पढ़ते समय श्यामोह में आकर वह लोक सम्बन्धी फल के भोक्ता, ग्रहण किए हुए संयम को नष्ट करने वाले और भव्य है तथा ग्रहण किए हए सम्यक्त्व को छोड़ देने के कारण अनेक प्रव धारण करने के बाद सिद्ध पद के स्वामी होंगे।