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________________ पापा । ८०७ से ११ सतिग्लोकाधिकार -- सदख । मन्तिमान्तरं तु समा प्रयकपमाष्टमातोमं बलसहिततिशत २५० २०३५० मा.८ शेष २४६ मास ३५० १ पूर्वोक्तमन्तरं सर्व मोक्षमोक्षान्सरं ज्ञातव्यं । एतदेव स्वकीयस्वकीयायुहीन भेद जिनाव जिनान्तरं स्यात् ॥ ११ ॥ अब तोकिरों का अन्तरकाल मात गाथाओं द्वारा कहते हैं गाथा:--प्रथम अन्तर पचास करोड लाख सागर तीन वर्ष आठमाह और एक पक्ष प्रमाण था। अर्थात् ऋषभदेव भगवान के बाद ५० करोड लाख सागर ३ वर्ष ८६ माह व्यतीत हो जाने पर अजित नाथ भगवान् हुए । इसके बाद दूसरे आदि अन्तराल क्रम से तीस लाख करोड़ सायर, दश लाख करोड़ सागर, ९ लाख करोड़ सागर इसके बाद पांच अन्तराल पूर्वोक्त अन्तरालों में कम से १०-१० से भाजित हैं । अर्थात् ( ९ लाख करोड़ सागर) = ६०000 करोड़ सागर, { 90° )=800 करोड़ सागर, (१° )800 करोड़ सागर, (2)-10 करोड़ सागर और १५:)- करोड़ सागर था इसके बाद दशवा अन्तराल ६६ लाख ६ हजार 100 ) ह करोड़ सागर ( ३३७३१.. सागर ) था। इससे आगे चौवन सागर, तीस सागर, नो सागर, बार सागर, पौन पल्य कम तीन सागर, अर्ध पक्य, हजार करोड़ वर्ष कम चौथाई पत्य, हजार करोड़ वर्ष, चौवन लाख वर्ष, छह लाख वर्ष, पांच लाख वर्ष, तेरासी हजार सात सौ पचास वर्ष और अन्तिम तेईसवा अन्तर दो सौ पचास वर्ष में तीन वर्ष आठ मास, एक पक्ष होन अर्थात् दो सो छयालीस वर्ष तीन मास, एक पक्ष प्रमाण का था। यह मोक्ष से मोक्ष का अन्तर है। इस अन्तर में से अपनी अपनी आयु का प्रमाण कम कर देने पर एक जिनेन्द्र से दूसरे जिनेन्द्र भगवान का अन्तर प्राR हो जाता है || ८०७-११ ॥ विशेषापं:-पूर्व तीर्थीकर के जितने काल बाद दूसरे तीर्थकर होते हैं, उस बीच के काल को अन्तराल कहते हैं । वृषभनाथ भगवान के मोक्ष जाने के पचास करोड़ सागर, ३ वर्ष मास बाद अजितनाथ भगवान मोक्ष गए थे। अजितनाथ के बाद दूसरा अन्तराल ३० लाख करोड़ सागर, (३) दश काख करोड़ सागर, ( ४ ) ९ लाख करोड़ सागर, (५) ६ लाख करो० सागर = Ever करोड़ सागर, (६) 28°-६००० करोड़ सागर, (७) १ ९५० करोड़ सागर, (८) = ९० करोड़ सागर, (६): %९ करोड़ सागर, (१०) १ करोड सागर-६६ ला• २६ हजार १०० सागर { १००००००० --- ६६२६१००)३३०३९.० सागर, (११) ५४ सागर, (१२) ३० सागर, । १३ ) ९ सागर, (१४) चार सागर, (१५)३ सागर- पाय-२ सागर ERERLESE LELERY परय, ( १६) आषा पल्य, (१७)पल्य--१००० करोड़ वर्ष अर्थात् हजार करोड़ वर्ष कम पाव पाल्य, (१८) १००० करोड़ वर्ष, (११) ५४००००० वर्ष, (२०) ६००००० वर्ष, (२१) ५.०००० वर्ष, ( २२) ८२७५० वर्षे और अन्तिम ( २३ । अन्तराल २५० वर्ष-३ वर्ष मास = २४६ वर्ष, मास, १ प प्रमाण था। यह मोक्ष से मोक्ष फा अन्तराल है। अर्थात् एक तीर्थकर के मोक्ष जाने के 10
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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