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गाथा:१७
लोकसामान्याधिकार अब वृत्ताकार क्षेत्र का क्षेत्रफल प्राप्त करने के लिये व्यास के चतुर्थ भाग से गुणा क्यों किया जाता है ? उसकी वासना कहते हैं :
कर्ण की गोलक सहश आकार का नाम शष्कुलि है ! इस कर्ण को गोलक सदश कुण्ड
( शकुलि) - - व्यास- 7 का व्यास एक लाख योजन है।
एफलाम
d. नीचे और मध्य से छेदकर फैलाने पर एक लम्बा
इसी १ लान व्यास नारे तन को त्रिकोणाकार क्षेत्र बन जाता है । यथा
३लाख
इसी आयत त्रिकोण क्षेत्र को मुख से भूमि तक आधा करने पर मध्य फल प्राप्त होता है, ' जिस मध्य फल का प्रमाण लाख योजन है । इसी क्षेत्र को ऊर्व से मध्यफल तक छेदने पर दो
खण्ड हो जाते हैं । यया-
मला
स
इलाम इन दोनों खण्डों का नाम कम से 'अ' और 'ब' है। अब इन दोनों खण्डों को अपः खण्ड 'स' के क्रम से घटते हुये दोनों पारवं भागों में स्थापित करने पर आयत चतुरस्र क्षेत्र प्राप्त होता है। इस आयत चतुरस्र क्षेत्र का क्षेत्रफल व्यास के चतुर्थांश(१) से गुणित करने पर प्राप्त हो जाता है। यथा
लारन लाख सर
३लाख इसीलिये वृत्ताकार का क्षेत्रफल प्राप्त करने के लिये परिषि को व्यास के चौथाई भाग से गुणित किया जाता है।