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गाषा: १५
लोकसाभाल्याधिकार ३ प्रतिकालाका:-शलाका कुण्ड के एक एक वार पूर्ण भरे जाने पर प्रतिषालाका कुण्ड में एक एक सरसों डाली जाती है अर्थात् इस कुण्ड के द्वारा शलाका कुण्ड की शलाकाओंका बोध होता है । अत: इसका नाम प्रतिशलाका कुण्ड सार्यक है।
४ महासलाका कुण्ड:-प्रतिशलाका कुण्ड के प्रत्येक वार भर जाने पर इस मन्तिम कुण्ड में एक सरसों डाली जाती है। यह कुषष्ठ प्रतिशलाका कुण्ड की शलाकाओं की गणना बतलाता है, अतः इसका नाम महाशलाका कुण्ड है।। अप चतुर्णा कुण्डानां व्यासादिप्रतीत्यर्थमाह
जोयण लक्खं वासो सहस्समुम्सेहमेत्य सम्वेसि । दुप्पहदिसरिसवेहिं अणवस्था पूरयेदव्वा ।।१५।। योजन लक्ष व्यास: सहनमुत्सेधः अत्र सर्वेषाम् ।
द्विप्रभृतिसर्षपैः अनवस्था पूरयितव्या ।। १५ ।। जोयण । योजनालशं व्यासः सहस्रमुस्सेषः स्यात् । प्रत्र सर्वेषां कुण्यामा विप्रतिसपरमवल्या पुरमितम्या ॥१५॥
अब चारों कुण्डों के ध्यास आदि की प्रतीति के लिए कहते हैं
गाथा:-चारों कुण्डों का व्यास एक लाख योजन और उत्सेध एक हजार योजन प्रमाण है। इनमें से जिसके आदि में दो हैं ऐसे अनेकों सरसों से अनवस्था कुण्ड को भरना आहिये ॥१शा
विशेषार्य :-अनवस्था, शलाका, प्रतिशलाका और महाशलाका ये चारों कुण्ड गोल हैं। इन कुण्डों का व्यास १००००० योजन और उत्सेध १००० योजन है । इनमें से बनवस्था कुण्ड को दो आदि सरसों से भरना चाहिये।
गोल वस्तु के बीच की चौड़ाई का नाम व्यास है । जैसे
--मासन
गोल वस्तु की गहराई या ऊंचाई का नाम उत्सेध है । जैसे