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प्राथा। ५४४
वैमानिकलोकाधिकार
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पारद का मायरसलाहि संगुणियं । उस्सासाहाराणं कमेण माणं विमायेसु || ५४४ ।। पक्षो वर्षसहस्र स्वकस्वकसागरवालाभिः संगुरिणतं ।
उच्छवामाहाराणां कमेण मानं विमानेषु ।। ५४४ ॥ पपलं वास । पक्षो १५ वर्षसहन १००० सोहम्मपरं पल्लं परमुपहि विसत्यायुक्तस्वकीयसागरपासाकाभिः संगुणित दिन ३. वर्ष २००० उच्छ्वासाहाराणा प्रमाणं विमानेषु कमेण मातम्पम् ॥ ५४४ ॥
अब उन देवों के उच्छवास और आहार का निरूपण करते हैं :
पायार्थ :- अपनी अपनी आयु प्रमाण सागर शलाकाओं में संगुणित पक्ष एवं हजार वर्ष अपने अपने विमानों में कम से उच्छवास और आहार का प्रमाण होता है | ५४४ ॥
विशेषाप:-'सोहम्म वर पल्लं' गाथा ५३२ में देवों की जितने जितने सागर को उत्कृष्टाय का प्रमाण कहा है, उन सागर शलाकाओं में पक्ष अर्थात् १५ दिन का और वर्ष सहन-हजार वर्ष (१.०० ) का गुणा करने पर अपने अपने विमानों में उच्छ्वास और आहार का प्रमाण होता है।
स्वर्गों की उत्कृष्टायु श्वासोच्छवास और आहार का प्रमाण निम्नांकित है :
क्रमांक
नाम
उत्कृष्टायु । वासोच्छ्वास
माहारेच्छा
सौधर्मशान
२ मागर
: पक्ष वाद
२००० वर्ष बाद
सानत्कुमार-मा. ब्रह्म-ब्रह्मोनर
- लान्तव-कापिष्ट
१४.०.
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शुक्र-महाशुक्र
सतार-सहस्रार
१०.००"
आनस-प्रारणत
८ मारण-अच्युत
२२
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२२
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