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गाथा : ५५६-५१७
वैमानिकलोकाधिकार लम्बाई १०० योजन ( ८०० मील } चौड़ाई ५० योजन { ... मील ) और ऊँचाई ( १00+:) ७५ योजन ( ६०० मील ) प्रमाण है। अथ आस्थानमण्डपवारं तदन्तस्यपदार्थान गापात्रयेणाह
पुन्युत्तरदक्खिणदिस तहाग अवघास सोलुदया। मज्मे हरिसिंहासणमहदेवीणासणं पुरदो ।। ५१६ ॥ पूर्वोत्तरदक्षिणादिशि तवाराणि अष्टव्यासः पोडशोदयाः ।
मध्ये हरिसिंहासनं अष्टदेवीनामामनानि पुरतः ।। ५१६ ।। पुण्यसर। तस्यास्थानमण्डपस्य पूर्वोत्तरदक्षिण दिशि द्वाराणि सन्ति । तेषां ज्यासः पर. योजनामि उत्सेषस्तु षोडशयोजनानि तामध्ये स्थाने हारसिंहासनं । तस्तिहासमात्पुरतः पशुपट्टदेवीमामासनानि स्युः॥ ५१६ ॥
अब आस्थान मण्डप के द्वार तथा मण्डप में स्थित पदार्थों का वर्णन तीन गाथानों द्वारा करते हैं
मायाप:-आस्थान मण्डप के पूर्व, उत्तर और दक्षिण दिशा में एक एक द्वार अर्थात् कुल तीन द्वार हैं। जिनमें प्रत्येक की चौड़ाई “ योजन और उदय ( ऊंचाई ) सोलह योजन है । मण्डप के मध्य में इन्द्र का सिंहासन है, और इस सिंहासन के आगे पाठ पट्ट देवाङ्गनाओं के आसन
विशेषार्थ :- उस मास्थान मण्डप की पूर्व, उत्तर और पश्चिम दिशा में 5 योजन ११४ मील) घोडा और १५ योजन ( १२८ मील ) ऊंचाई के प्रमाण को लिये हुए एक एक दरवाजा है। मण्डप के मध्य भाग में इन्द्र का सिंहासन है, तथा इस सिंहासन के मागे अष्ट अन देवाङ्गनामों के सिहासन हैं ।
तब्वाहिं पुवादिसु सलोयवालाण परिसतिदयम्स | मग्गिजमणरिदीए तेतीसाणं तु णेरिदिए ।। ५१७॥ सदहिः पूर्वादिषु स्वलॊकपालानां परिषत्रितयस्य ।
मग्नियमनं त्या त्रयस्त्रिशतां तु नैऋत्याम् ।। ५१० ।। तध्याहि । तातो पेथीनामासमाबहिः पूर्वामिषु चिमु लोकपालामा धोमयमवरणाराणा पासनानि सन्ति परिषदत्रयस्यासनाति १२०० । १४००० । १६०००। मासनस्य माग्नेषयमनैऋत्यो रिशि सन्ति त्रास्त्रिशानामासनान्यपि ३३ नेऋत्या विस्येव सन्ति ॥ ५१७ ॥
गाथार्ग :-पट्टदेवियों के आसनों से बाहर पूर्वादि दिशाओं में लोकपालों के आग्नेय, दक्षिण